शैलपुत्री: देवी मां का पहला रूप शैलपुत्री है। इन्हें हिमालय की बेटी भी कहा जाता है। माना जाता है कि जैसे हिमालय पर्वत शक्तिशाली और मजबूत है, उसी प्रकार शैलपुत्री का रूप भी शक्तिशाली और साहसी है।
ब्रह्मचारिणी: देवी मां का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। माता पार्वती ने भगवान शिव से शादी करने के लिए जिस तरह से कठोर तपस्या की थी, उसी प्रकार अगर एक महिला चाहे तो अपने शांत व्यवहार से किसी को भी अपना बना सकती है।
चंद्रघंटा: देवी मां का तीसरा रूप क्रोध का है। कहा जाता है कि माता का यह रूप क्रोध का जरूर है लेकिन वह कल्याणकारी है। माना जाता है कि जैसे मां दुर्गा हमारे सभी दुखों को नष्ट कर कल्याण करती हैं, उसी तरह एक महिला भी हर दुख-सुख में साथ रह कर सबका कल्याण करती है।
कुष्मांडा: देवी मां का चौथा रूप खुशी का होता है। माना जाता है कि कुष्मांडा देवी की पूजा करने से जीवन में खुशहाली आती है। उसी तरह अगर एक महिला के खुश रहती है तो घर में रौनक बनी रहती है।
स्कंदमाता: देवी मां का पांचवां रूप आशीर्वाद का माना जाता है। कहा जाता है कि पांचवा दिन मां के आशीर्वाद से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। उसी तरह पालनहार मां के आशीर्वाद से बच्चों के सारे दुख खत्म हो जाते हैं और हर मां अपने बच्चे की सभी इच्छाएं पूरी करती हैं।
कात्यायनी: देवी मां का छठा रूप रिश्तों को बनाने वाला है। कहा जाता है कि रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। ठीक उसी तरह महिलाएं भी घर के सभी रिश्तों को जोड़ कर रखने की जिम्मेदारी अक्सर निभाती है।
कालरात्रि: देवी मां का सातवां रूप मां काली का है। मां काली शत्रुओं का विनाश करती हैं। कहा जाता है कि जब मान-सम्मान पर उंगली उठने लगती है तो एक स्त्री भी मां काली की तरह भयानक रूप धारण कर सकती है।
महागौरी: देवी मां का आठवां स्वरूप सौम्य है, जो शुद्धता का प्रतीक है। उसी तरह एक महिला को सुंदर, कोमल और शांति का प्रतीक माना जाता है।
सिद्धिदात्री: नवरात्रि के आखिरी दिन देवी मां का नौवां रूप सिद्धिदात्री नकी पूजा होती है। कहा जाता है कि इनकी पूजा करने से जीवन की जो भी इच्छा होती है, वो मां के आशीर्वाद से पूरी हो जाती है। उसी तरह एक महिला भी जीवन के अंत तक घर परिवार के साथ रहती है और इच्छाओं को पूरा करती है।