1- शनि जयंती के दिन सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदियों में स्नान अवश्य करें।
2- अगर संभव हो तो इस दिन नीले रंग के वस्त्र जरूर पहने।
3- शनि जयंती सवा मीटर सूती काला या नीला कपड़े में 7 प्रकार के अनाज थोड़े-थोड़े, काले तिल एवं लोहे का एक चौकोर टुकड़ा इन सभी को कपड़ें में रखकर पोटली में बांध लें। अब इस पोटली को घोड़े के किसी अस्तबल में जाकर दान कर दें। इस उपाय से शनि के साढ़ेसाती की पीड़ा तुरंत शांत होने लगती है।
4- अगर किसी की कुंडली में कालसर्प दोष है तो वे इन सभी सामग्री के साथ एक चांदी से बने हुए नाग का जोड़ा रखें और इस पोटली को किसी शिव मंदिर में दान करें।
5- जन्मकुंडली में ग्रहण दोष तब बनता है जब किसी भी स्थान में सूर्य या चंद्र के साथ राहु बैठा हो, और इस दोष के प्रभाव से जीवन संकटमय बना हो, कोई कार्य पूर्ण नहीं होते हो, जीवन की तरक्की और सुखों पर एक तरह से ग्रहण लग गया हो तो इसका निवारण सावन मास की शनि जयंती के दिन शनि का दान जरूर करें।
6- यदि ग्रहण दोष चंद्र बना हुआ है तो एक सफेद कपड़े में सवा किलो चावल, सफेद चंदन और स्फटिक की माला व कुछ दक्षिणा को किसी कांसे के बर्तन में रखकर दान करें।
7- भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए शनि जंयती के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करना चाहिए।
8- अगर विवाह में बाधा आ रही है तो शनि जयंती के दिन पीपल के सात पत्तों पर अष्टगंध से ओम नमो भगवते वासुदेवाय लिखें और इसे बहते जल में प्रवाहित करने से बाधा दूर हो जायेगी।
9- समस्त सुखों की प्राप्ति के लिए एवं रोग मुक्ति के लिए शनि अमावस्या के दिन गरीबों को नमकीन चावल खिलाएं।
10- शनि देव का तिल के तेल से अभिषेक करने से शीघ्र साढ़ेसाती से लाभ मिलता है।
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