scriptकौन थे साईं बाबा, जन्मस्थान को लेकर विवाद क्यों? | Sai Baba Birthplace Controversy: who is sai baba | Patrika News
धर्म-कर्म

कौन थे साईं बाबा, जन्मस्थान को लेकर विवाद क्यों?

साईं बाबा को मानने वाले उन्हें योगी, संत, फकीर कहकर पुकारते हैं।

Jan 19, 2020 / 11:50 am

Devendra Kashyap

sai_baba.jpg
साईं बाबा के प्रति लोगों की आस्था दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि जगह-जगह पर साईं बाबा के मंदिर बनाए गए हैं और बनाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि एक ओर जहां आस्था बढ़ रही है, वहीं इसके साथ एक विवाद भी सालों से चला आ रहा है कि साईं वाकई ईश्वर थे या नहीं?

इस पर गाहे-बगाहे चर्चाएं भी होती रहती है। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि साईं बाबा का जन्म हुआ था। वे हमेशा साधारण जीवन जीते रहे और साधारण लोगों के बीच ही रहे। यह भी सत्य है कि उन्होंने समाधि ली थी। खास बात यह है कि साईं बाबा की पूजा-अर्चना सिर्फ भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में होती है और उनके चमत्कारों के गुणगान भी गाए जाते हैं।

सबसे खास बात ये है कि शिरडी के साईं बाबा को छोड़ दें, तो इसके अलावा जहां-जहां भी साईं बाबा के मंदिर बने हैं, वहां उनकी मूर्ति एक ही छवि वाली है। मान्यता है कि साईं के इस आसन वाली मूर्ति को शिरडी में ही बनाया गया था, जहां उन्होंने अपनी समाधि ली थी। इस मूर्ति की पूजा साल 1954 से लगातार की जा रही है।

साईं बाबा के भक्त इनके अद्भुत चमत्कारों की चर्चा करते आए हैं। इनके भक्त ऐसा मानते हैं कि ये भगवान के अवतार थे। हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय के लोग इन्हें पूजते हैं। साईं बाबा को मानने वाले उन्हें योगी, संत, फकीर कहकर पुकारते हैं। साईं बाबा के धर्म और जन्म को लेकर लोगों में विरोधाभास है। कुछ लोग उन्हें हिन्दू मानते हैं तो कुछ मुस्लिम।

साईं बाबा के जन्म स्थान को लेकर इतिहासकारों और विद्वानों में अलग-अलग मत है। कुछ विद्वानों का मानना है कि इनका जन्म महाराष्ट्र के पाथरी गांव में 28 दिसंबर 1835 में हुआ था। हालांकि उनके जन्म को लेकर कोई ठोस प्रमाण नहीं है। वहीं साईं सत्चरित्र नामक किताब के मुताबिक, साईं बाबा 16 साल की अवस्था में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिरडी गांव आए थे। जहां वे एक संन्यासी का जीवन व्यतीत कर रहे थे।

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिरडी गांव में साईं मंदिर स्थित है। इस मंदिर से आज भी लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। कहते हैं कि इस मंदिर के दर्शन के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। बताया जाता है कि यह मंदिर साईं बाबा की समाधि पर बनाया गया है।

दरअसल, लोगों का मानना है कि साईं अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने के लिए यहां खुद आते हैं। यह बात इसलिए दावे के साथ कही जाती है, क्योंकि जिस शिल्पकार को साईं बाबा की मूर्ति बनाने के लिए कहा गया, तो उसके सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह थी कि वो मूर्ति को किस तरह बनाए। ऐसी दुविधा में उससे कहा गया कि वो साईं बाबा को याद करके मूर्ति बनाए।

यह वाकया 1954 है, जब साईं बाबा की मूर्ति को बनाने के लिए मुंबई के बंदरगाह पर इटली से मार्बल आया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि आज तक यह नहीं पता चल सका कि उस मार्बल को किसने भेजा था। मार्बल पर सिर्फ इटली लिखा हुआ था। इसीसे यह पता चला कि मार्बल इटली से आया है।

इसके बाद साईं की मूर्ति को बनाने क काम वसंत तालीम को सौंपा गया। मूर्ति बनाते समय जब उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, तब वो निराश होकर बैठ गया और कहने लगा कि बाबा मुझे इतनी शक्ति दीजिए कि मैं ऐसी प्रतिमा बनाऊं, जो मनमोहक हो। इसके बाद साईं बाबा ने खुद दर्शन दिए और जिसके बाद ये आसन वाली मूर्ति बनी।

वैसे तो इसके बाद इस आसन वाली अब तक लाखों-करोड़ों मूर्तियां बन चुकी हैं, लेकिन शिरडी में विराजी मूर्ति की बात ही अलग है। इस मूर्ति की खासियत यह है कि जब आप साईं बाबा की ओर गौर से देखेंगे, तो लगता है कि वे हमें देख रहे हैं। मान्यता है कि जो भी उनसे मिलने आया उसका जीवन बदल गया।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / कौन थे साईं बाबा, जन्मस्थान को लेकर विवाद क्यों?

ट्रेंडिंग वीडियो