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रमजान के पाक महीने में सुबह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त कर रोजा रखने वालों को अपनी भूख-प्यास का नियंत्रण करते हुए अल्लाह को याद करना होता है। सुबह होने से पहले रोजेदार को सहरी करना अनिवार्य होता है यानि रोजे की शुरूआत करना। शाम को रोजे का खात्मा इफ्तार के साथ किया जाता है। सहरी का समय सूर्योदय का समय तथा इफ्तार का समय सूर्यास्त का समय होता है। इस बार पहला रोजा 14 अप्रैल 2021 को रखा जा रहा है। इस दिन सहरी का वक्त सुबह चार बजकर तेरह मिनट का है जबकि इफ्तार का समय शाम छह बजकर 21 मिनट पर होगा। 14 अप्रैल के रोजे को इस वर्ष का सबसे छोटा रोजा माना जा रहा है।आमतौर पर भारत में रोजा सऊदी अरब से एक दिन बाद मनाया जाता है।
रमजान के पाक महीने में सुबह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त कर रोजा रखने वालों को अपनी भूख-प्यास का नियंत्रण करते हुए अल्लाह को याद करना होता है। सुबह होने से पहले रोजेदार को सहरी करना अनिवार्य होता है यानि रोजे की शुरूआत करना। शाम को रोजे का खात्मा इफ्तार के साथ किया जाता है। सहरी का समय सूर्योदय का समय तथा इफ्तार का समय सूर्यास्त का समय होता है। इस बार पहला रोजा 14 अप्रैल 2021 को रखा जा रहा है। इस दिन सहरी का वक्त सुबह चार बजकर तेरह मिनट का है जबकि इफ्तार का समय शाम छह बजकर 21 मिनट पर होगा। 14 अप्रैल के रोजे को इस वर्ष का सबसे छोटा रोजा माना जा रहा है।आमतौर पर भारत में रोजा सऊदी अरब से एक दिन बाद मनाया जाता है।
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– हर रोजेदार को रमजान के महीने में न केवल अपने गुनाहों के लिए माफी मांगनी होती है वरन उसे हमेशा के लिए गुनाहों से दूर रहने का भी संकल्प लेना होता है।
– इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमजान के महीने को नेकियों का महीना भी कहा जाता है। इस महीने में की गई हर नेकी का फल कई गुणा मिलता है, इसलिए इस महीने में यथासंभव अच्छे काम करने चाहिए।
– रमजान के पूरे महीने में रोजेदार को नियमित रूप से दिन में पांच बार की नमाज पढ़नी चाहिए और शाम को खजूर खाकर इफ्तार खोलना चाहिए।
– हर रोजेदार को रमजान के महीने में न केवल अपने गुनाहों के लिए माफी मांगनी होती है वरन उसे हमेशा के लिए गुनाहों से दूर रहने का भी संकल्प लेना होता है।
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– रमजान के पूरे महीने में रोजेदार को नियमित रूप से दिन में पांच बार की नमाज पढ़नी चाहिए और शाम को खजूर खाकर इफ्तार खोलना चाहिए।