भौमवती अमावस्या का महत्व
मान्यता है कि पितृ पूजन के साथ मंगल ग्रह की शांति के लिए मंगलवार मार्गशीर्ष अमावस्या बहुत खास होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस योग में स्नान दान से रोग और दोष दूर होते हैं, विवाह और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है। आइए जानते हैं मार्गशीर्ष अमावस्या का मुहूर्त, उपाय और पितृ पूजन की विधि..
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मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितृ पूजा
ज्योतिष के अनुसार अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं और इस तिथि के स्वामी पितर होते हैं। इसलिए पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए अमावस्या तिथि पर पितृ पूजन खास होता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में पितरों के लिए तर्पण और धूप देना आपका कल्याण करेगा। साथ ही पंचबलि भोग निकालें और ब्राह्मण भोजन कराएं। इसके अलावा यथाशक्ति कपड़े, अन्न, तिल, गुड़ या नमक का दान करें। मान्यता है इससे पितर प्रसन्न होंगे, पूरे परिवार को आशीर्वाद देंगे।
मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितृ पूजा
ज्योतिष के अनुसार अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं और इस तिथि के स्वामी पितर होते हैं। इसलिए पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए अमावस्या तिथि पर पितृ पूजन खास होता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में पितरों के लिए तर्पण और धूप देना आपका कल्याण करेगा। साथ ही पंचबलि भोग निकालें और ब्राह्मण भोजन कराएं। इसके अलावा यथाशक्ति कपड़े, अन्न, तिल, गुड़ या नमक का दान करें। मान्यता है इससे पितर प्रसन्न होंगे, पूरे परिवार को आशीर्वाद देंगे।
मंगल ग्रह के उपाय
मंगलवार और अमावस्या का योग अधिक देखने को नहीं मिलता है। लेकिन यदि मंगलवार को अमावस्या पड़े तो मंगल ग्रह की भात पूजा और हनुमानजी की उपासना रोगों से छुटकारा पाने के लिए विशेष होता है। मान्यता है इन कार्यों से कर्ज से छुटकारा भी मिलता है। इसके अलावा भौमवती अमावस्या भात पूजा में उबले चावल से शिवलिंग का भी श्रृंगार करना चाहिए। ऐसा करने से मंगल की अशुभता दूर होती है, और जिन पति-पत्नी में तालमेल नहीं है, वह समस्या दूर होती है। भूमि-भवन से जुड़ी समस्याएं और रक्त संबंधी बीमारी दूर होती है।
मंगलवार और अमावस्या का योग अधिक देखने को नहीं मिलता है। लेकिन यदि मंगलवार को अमावस्या पड़े तो मंगल ग्रह की भात पूजा और हनुमानजी की उपासना रोगों से छुटकारा पाने के लिए विशेष होता है। मान्यता है इन कार्यों से कर्ज से छुटकारा भी मिलता है। इसके अलावा भौमवती अमावस्या भात पूजा में उबले चावल से शिवलिंग का भी श्रृंगार करना चाहिए। ऐसा करने से मंगल की अशुभता दूर होती है, और जिन पति-पत्नी में तालमेल नहीं है, वह समस्या दूर होती है। भूमि-भवन से जुड़ी समस्याएं और रक्त संबंधी बीमारी दूर होती है।