जीवन के हर क्षेत्र में मिलती है सफलता
मां बगलामुखी का भक्त जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है। पीले फूल और नारियल चढ़ाने से देवी प्रसन्न होती हैं। देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करना चाहिए। मान्यता है कि देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढ़ाने से बड़ी से बड़ी बाधा दूर हो जाती है। बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है।
पूजा में इन नियमों का रखें ध्यान
माता बगलामुखी की विशेष प्रयोजन के लिए की जानी वाली साधना हो या सामान्य पूजा पाठ सभी समय कुछ नियमों का ध्यान रखना चाहिए। अगर इन नियमों के अनुसार साधना करते हैं तो मां बगलामुखी की कृपा से साधक की हर इच्छाएं माता पूरी करती हैं ।
माता बगलामुखी की विशेष प्रयोजन के लिए की जानी वाली साधना हो या सामान्य पूजा पाठ सभी समय कुछ नियमों का ध्यान रखना चाहिए। अगर इन नियमों के अनुसार साधना करते हैं तो मां बगलामुखी की कृपा से साधक की हर इच्छाएं माता पूरी करती हैं ।
1 – साधना काल में ब्रह्मचर्य का अनिवार्य रूप से पालन करें ।
2 – साधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करें ।
3 – एक समय बिना शक्कर, नमक के उपवास रखें, या केवल फलहार पर ही रहें और एक समय सुपाच्य भोजन करें ।
4 – साधना अनुष्ठान के दिनों में बाल न कटवाएं ।
5 – माता के विशिष्ट मंत्रों का जप रात्रि के 10 से लेकर प्रात: 4 बजे के बीच ही करें ।
2 – साधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करें ।
3 – एक समय बिना शक्कर, नमक के उपवास रखें, या केवल फलहार पर ही रहें और एक समय सुपाच्य भोजन करें ।
4 – साधना अनुष्ठान के दिनों में बाल न कटवाएं ।
5 – माता के विशिष्ट मंत्रों का जप रात्रि के 10 से लेकर प्रात: 4 बजे के बीच ही करें ।
6 – गाय के घी का ही दीपक जलाएं, दीपक की बाती को पीली हल्दी में रंगकर जलाएं, या तो पहले से ही पीली हल्दी में बाती सुखाकर रख लें ।
7 – साधना में मां बगलामुखी का 36 अक्षरों वाले मंत्र का जप करना सबसे श्रेष्ठ और फलदायी होता है ।
8 – साधना किसी पवित्र एवं एकांत में, माता के किसी मंदिर में, हिमालय पर या फिर किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर करने पर शीघ्र सफल हो जाती है ।
9 – साधना में मां बगलामुखी का पूजन यंत्र केवल चने की दाल से ही बनाया जाना चाहिए ।
10 – अगर आप समर्थ हों तो इसे ताम्रपत्र या चांदी के पत्र पर भी अंकित करवाया जा सकता है ।
11- बगलामुखी यंत्र एवं इसकी संपूर्ण साधना अपनी सुविधा अनुसार किसी जानकार के मार्गदर्शन में ही करें ।
12- मां बगलामुखी यंत्र मुकदमों में सफलता तथा सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है । कहते हैं इस यंत्र में इतनी क्षमता है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने में सर्व समर्थ है ।
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प्रभावशाली मंत्र जप व पूजा विधान
विनियोग
दाहिने हाथ में जल लेकर इस मंत्र का उच्चारण करें, मंत्र पूरा होने पर जल को नीचे धरती पर छोड़ दें।
प्रभावशाली मंत्र जप व पूजा विधान
विनियोग
दाहिने हाथ में जल लेकर इस मंत्र का उच्चारण करें, मंत्र पूरा होने पर जल को नीचे धरती पर छोड़ दें।
विनियोग मंत्र
अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि ।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे । श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये ।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये । स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो: ।
ॐ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग: ।
अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि ।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे । श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये ।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये । स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो: ।
ॐ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग: ।
आवाहन
सीधे हाथ में जल, अक्षत, पुष्प, हल्दी, कुमकुम व नैवेद्य आदि लेकर नीचे दिये गये मंत्र का उच्चारण करते हुए मां बगलामुखी का पूजा स्थल पर आह्वान करें
आवाहन मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा ।
ध्यान
आवाहन के बाद दोनों हाथों को जोड़कर मंत्र बोलते हुए श्रद्धा पूर्वक आज्ञा चक्र या हृदय में माता का ध्यान करें।
ध्यान मंत्र
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम् ।
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत् ।।
इस मंत्र का करें जप
इस क्रम पूरा होने के बाद शांत चित्त, कुशा या कंबल के आसन पर बैठकर नीचे दिए गए 36 अक्षरों वाले मां बगलामुखी के मंत्र का तुलसी या स्फटिक की माला से जप करें । इस मंत्र को 1 लाख की संख्या में जप करने पर भी यह सिद्ध हो जाता है । अधिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए 5 या 11 लाख जप करने पड़ते हैं । जप पूर्ण होने पर पूर्णाहूति के रूप में जप का दशांश यज्ञ एवं दशांश तर्पण करना भी आवश्यक है ।
जप मंत्र
– ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ।