कहा जाता हैं की भले ही भगवान श्रीकृष्ण को जन्म देने वाले माता-पिता देवकी और वासुदेव थे लेकिन बचपन से ही उनका पालन-पोषण माता यशोदा और नंद जी ने किया था । देवकी और वासुदेव जी के विवाह के समय ब्रह्म ने आकाश से ऐसी भविष्यवाणी की थी कि देवकी और वासुदेव का आठवां पुत्र कंस की मृत्यु करेगा । इसी कारण कंस ने देवकी और वासुदेव को कारावास में डाल दिया था और श्रीकृष्ण ने कारावास में ही जन्म लिया था, भगवान की योगामाया से वासुदेव जी बालकृष्ण वृंदावन यशोदा और नंद को सौंप आएं थे, और वहीं श्रीकृष्ण का बचपन बीता, और कुछ सालों बाद उन्होंने कंस का वध कर भविष्यवाणी को सही साबित किया ।
इसलिए पसंद हैं कान्हां को माखन मिश्री
वृंदावन में श्रीकृष्ण एक नटखट बालक थे, और उन्हें बचपन से ही मक्खन बेहद पंसद था । कहा जाता है कि मैया यशोदा हर रोज स्वयं अपने हाथों से माखन मिश्री बनाकर कान्हां को खिलाती थीं । श्रीकृष्ण को माखन इतना पंसद था कि वह पूरे गांव में मथा हुआ माखन अपने बाल सखाओं के साथ चुराकर खा जाते थे, इसलिए उनका नाम बचपन में माखन चोर पड़ा था ।
कान्हां के जन्मोत्सव के दिन यानी की जन्माष्टमी पर कृष्ण भक्त मुख्य भोग के रूप में माखन मिश्री का भोग लगाते हैं । इसके अलावा भगवान के लिए छप्पन भोग भी बनाया जाता है जिसमें 56 तरह की व्यंजन शामिल होते हैं । भगवान को भोग लगने के बाद इन सभी चीज़ों को भक्तों में बांटा दिया जाता है और इस प्रसाद को ग्रहण करने बाद वे अपना व्रत भी तोड़ते हैं ।
माना जाता है छप्पन भोग में से श्रीकृष्ण के सबसे ज्यादा पंसदीदा व्यंजन होते हैं अनाज, फल, ड्राई फ्रूट्स, मिठाई, पेय पदार्थ, नमकीन और आचार की श्रेणी में आने वाले आठ प्रकार की चीजें होती हैं । छप्पन भोग में सामान्य रूप से माखन मिश्री खीर और रसगुल्ला, जलेबी, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, मोहनभोग, चटनी, मुरब्बा, साग, दही, चावल, दाल, कढ़ी, घेवर, चीला, पापड़, मूंग दाल का हलवा, पकोड़ा, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी, लौकी की सब्जी, पूरी, बादाम का दूध, टिक्की, काजू, बादाम, पिस्ता जैसी चीजें शामिल होती हैं ।
अगर कोई श्रद्धालु भक्त भगवान को छप्पन भोग का प्रसाद में नहीं चढ़ा पाते हैं उनके द्वारा श्रद्धा पूर्वक माखन मिश्री एक मुख्य भोग चढ़ाने से ही भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न हो जाते हैं, और उनकी हर मनोकामनाएं पूरी करते हैं ।