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Kalbhairav Jayanti: कालभैरव के ये चमत्कारिक मंत्र तुरंत करते हैं असर, इन दो दिन जाप से शनि कोप होता है शांत

Kalbhairav Jayanti कालभैरव, भगवान शिव के उग्र स्वरूप माने जाते हैं। मान्यता है कि मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को ही भगवान शिव ने यह रूप पहली बार धरा था। इसलिए भक्त हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी और भैरव जयंती के रूप में मनाते हैं, जबकि मार्गशीर्ष महीने में खास आयोजन, पूजा-पाठ, उपवास करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान कालभैरव के चमत्कारिक मंत्र कौन से हैं जो तुरंत असर करते हैं…

Dec 04, 2023 / 07:21 pm

Pravin Pandey

भैरव अष्टमी पर चमत्कारी मंत्रों का जाप सिद्धि दिलाता है।

कब है कालभैरव जयंती
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी की शुरुआत पांच दिसंबर अल सुबह 1.29 बजे (चार दिसंबर की रात) हो रही है और यह तिथि 6 दिसंबर को अल सुबह 4.07 बजे संपन्न हो रही है। इसलिए भैरव जयंती यानी मार्गशीर्ष कालाष्टमी पांच दिसंबर मंगलवार (भैरव अष्टमी) को मनाई जाएगी। हालांकि दक्षिण भारत में यह कार्तिक महीने में मनाई जाती है।

पुरोहितों के अनुसार कालाष्टमी की विशेष पूजा रात में होती है। इसलिए कालाष्टमी व्रत उस दिन रखा जाना चाहिए, जिस दिन प्रदोषकाल के बाद कम से कम एक घटी के लिए अष्टमी प्रबल हो वर्ना कालाष्टमी पिछले दिन चली जाती है, तब जब रात्रि के दौरान अष्टमी तिथि और अधिक प्रबल हो। इनकी पूजा में मांस मदिरा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, हालांकि कई लोग ऐसा करते हैं, जिसके दुष्परिणाम हो सकते हैं।
शनि कोप शांति का रामबाण उपाय
पुरोहितों के अनुसार रुद्रावतार कालभैरव की पूजा से शनि का कोप भी शांत हो जाता है। इसके लिए रविवार और मंगलवार को व्रत रखकर इनकी पूजा करना चाहिए। साथ ही कालभैरव के चमत्कारिक मंत्रों का जाप करना चाहिए। हालांकि पूजा से पहले कुछ सावधानियां रखनी जरूरी हैं। आइये जानते हैं कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए क्या करें
1. कालभैरव की पूजा से पहले कुत्ते को कभी दुत्कारना नहीं चाहिए बल्कि उसे भरपेट भोजन कराना चाहिए, क्योंकि कुत्ता कालभैरव का वाहन माना जाता है।
2. कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए जुआ, सट्टा, शराब, ब्याजखोरी, अनैतिक कृत्य से दूर रहना चाहिए।
3. कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए साफ-सफाई पवित्रता का खयाल रखना चाहिए।
4. दांत और आंत साफ रखना इसकी प्रमुख शर्त है, इनकी आराधना पवित्र होकर ही करें।
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कालभैरव के चमत्कारिक मंत्र
1. ॐ कालभैरवाय नम:।
2. ॐ भयहरणं च भैरव:।
3. ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्‍।
4. ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।
5. ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।
6. ॐ भैरवाय नम:।
भैरव रक्षा मंत्र
1. ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम: ।

ऐसे करें साधना
इन भैरव मंत्रों के जाप की शुरुआत रविवार की रात या मंगलवार की रात से करना चाहिए। इसके लिए रात में एक समय और एक स्थान सुनिश्चित कर प्रतिदिन मंत्र जप का दृढ़ संकल्प लेकर रोजाना साधना करें। इससे भैरव प्रसन्न होकर, भक्त की सारी समस्याओं को दूर कर देते हैं।
भैरव अष्टमी पर मंत्रों के जाप का महत्व
मान्यता है कि भैरव की आराधना से जिंदगी में हर तरह के संकटों से मुक्ति पाई जा सकती है। काल भैरवाष्टमी के दिन भैरव के मंत्रों का जाप व्यापार-व्यवसाय, शत्रु पक्ष से आने वाली परेशानियां, विघ्न-बाधाएं, कोर्ट-कचहरी और निराशा आदि से छुटकारा दिला देता है।

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