चंद्रमा और भगवान विष्णु की पूजा का मंत्र
- चंद्र को अर्घ्य देते वक्त पढ़ें ये मंत्र: ऊँ सों सोमाय नम:।
2. श्रीराम नाम मंत्र या ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप 108 बार करें।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर दिनचर्या पूरी कर गंगा स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- पीले वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
- चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को आसन दें, प्रणाम कर पूजा शुरू करें।
- भगवान और माता को गंध, पुष्प, फल, फूल, मिठाई और वस्त्र अर्पित करें, माता लक्ष्मी को श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
- देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें, विष्णु चालीसा पढ़ें और मां लक्ष्मी के मंत्र जपें।
- भगवान विष्णु जी की आरती गाएं और प्रसाद बांटें।
वट पूर्णिमा पूजा सरल विधि
- सुबह जल्दी उठें स्नान ध्यान कर वट सावित्री व्रत की तरह ही इस दिन भी 16 श्रृंगार करें।
- फिर इसके बाद वट वृक्ष की पूजा शुरू करें और बरगद को जल या दूध मिश्रित जल अर्पित कर पुष्प, अक्षत, फूल, धूप-दीप और मिठाई चढ़ाएं।
- महिलाएं चौबीस बरगद फल (आटे या गुड़ के) और चौबीस पूरियां आंचल में रखकर, इसमें से 12 पूरी और 12 बरगद फल वट वृक्ष को चढ़ा दें।
- कच्चे सूत को वट वृक्ष को लपेटते हुए, हर परिक्रमा पर एक चना चढ़ाएं, सावित्री माता और वट वृक्ष का ध्यान करें, 11 बार परिक्रमा करें और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद लें।
- परिक्रमा पूरी होने के बाद सत्यवान और सावित्री की कथा सुनें और बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।
- पूजा के बाद श्रृंगार का सामान सास या किसी अन्य सुहागन महिला को दे दें और चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
- वट पूर्णिमा व्रत के दिन सात्विक आहार और विशेषकर मीठी चीजों का ही सेवन करें।
- इसके बाद बांस की टोकरी में भीगे हुए चनों का बायना निकालकर, फल, दक्षिणा रखकर सास को दें और आशीर्वाद लें।
- पूजा समाप्त होने पर महिलाएं ग्यारह चने और वृक्ष की बौड़ी (वृक्ष की लाल रंग की कली) तोड़कर जल से निगलें और व्रत समाप्त करें।
ज्येष्ठ पूर्णिमा उपाय
- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें, पूजा पाठ के बाद चने और गुड़ का प्रसाद बांटें। मान्यता है कि इससे अत्यधिक पुण्यफल प्राप्त होता है। व्यक्ति का कल्याण होता है।
- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन बरगद का वृक्ष लगाना शुभ फलदायक माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने वाले व्यक्ति को शिव धाम की प्राप्ति होती है।
- वट पूर्णिमा के दिन बरगद के पेड़ के नीचे विष्णुजी का ध्यान करते हुए घी का दीपक, लौंग कपूर जलाएं। मान्यता है कि इससे जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इससे नौकरी में सफलता मिलती है, घर-बाहर का क्लेश बंद हो जाता है।
- बरगद के पेड़ के नीचे शिवलिंग स्थापित कर रोज पूजा करें। मान्यता है कि सुख और समृद्धि बढ़ जाएगी। बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पूजन करने, व्रत कथा कहने और सुनने से मनोकामना पूरी होती है। इस दिन शिव-पार्वती के साथ ही विष्णु-लक्ष्मी जी की पूजा करें।
- पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चंद्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर ‘ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम:’ या ‘ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:’ का जप करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दें। इससे आर्थिक समस्या खत्म होती है।
- मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का वास होता है। सुबह उठकर पीपल के पेड़ के सामने कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करें। इससे माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलेगा।
- पूर्णिमा के दिन नित्य-कर्मों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं फिर एक मिट्टी का दीपक हनुमान जी के मंदिर में जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं।
- इस दिन बरगद के पेड़ में कच्चा दूध चढ़ाने से योग्य वर और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं।