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श्री गणेश जन्मोत्सव आज: जानें गणेश चतुर्थी का शुभ समय और पूजा विधि, साथ ही आने वाले बुधवार को ऐसे करें श्री गणेश को प्रसन्न

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Feb 15, 2021 / 12:39 am

दीपेश तिवारी

Shri Ganesh Janmotsav : 15 feb.2021-Birth of lord ganesh and know when you get easily blessings of Sri Ganesh ji

आदिपंच देवों के अलावा हिन्दू संस्कृति और पूजा में भगवान श्रीगणेश जी को प्रथम पूज्य देव का स्थान भी प्राप्त है। ऐसे में प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की ही पूजा की जानी अनिवार्य मानी जाती है।

माना जाता है कि देवता भी अपने कार्यों की बिना किसी विघ्न से पूरा करने के लिए गणेश जी की अर्चना सबसे पहले करते हैं, ऐसा इसलिए है क्योंकि देवताओं ने स्वयं उनकी अग्रपूजा का विधान बनाया है।

इस साल श्री गणेश जन्मोत्सव यानि गणेश जयंती का पर्व 15 फरवरी 2021 को मनाया जाएगा। ऐसे में इस वर्ष गणेश जयंती रवि योग में मनाई जाएगी। दक्षिण भारतीय मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था।

दरअसल माघ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (Magha Shukla Chaturthi) को गणेश जयंती मनाते हैं। श्री गणेश जन्मोत्सव / गणेश जयंती को गणेश चतुर्थी, माघ विनायक चतुर्थी और वरद चतुर्थी के नाम से जानते हैं।

मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। कहते हैं कि इस दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों को मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

श्री गणेश जन्मोत्सव / गणेश जयंती पूजा शुभ मुहूर्त 2021- Sri Ganesh Janmotsav puja mahurat
गणेश जयंती- 15, फरवरी 2021 (सोमवार)
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 15, फरवरी 2021, देर रात 01:58 बजे से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 16, फरवरी 2021, देर रात 03:36 बजे
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय- सुबह 09:14 बजे से रात 09:32 बजे तक।
1. मान्यता है की इस दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए वरना कलंक का भागी होना पड़ता है। अगर भूल से चन्द्र दर्शन हो जाए तो इस दोष के निवारण के लिए नीचे लिखे मन्त्र का 28, 54 या 108 बार जाप करें। श्रीमद्भागवत के दसवें स्कन्द के 57वें अध्याय का पाठ करने से भी चन्द्र दर्शन का दोष समाप्त हो जाता है।
चन्द्र दर्शन दोष निवारण मन्त्र:
सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।
2. ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं हों। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं।
3. गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है। मतान्तर से गणेश जी की तीन परिक्रमा भी की जाती है।
पूजा विधि- Puja Vidhi

1. गणेश चतुर्थी के दिन सुबह गणपति बप्पा के व्रत का संकल्प लें।
2. शुभ मुहूर्त में किसी पाटे, चौकी लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
3. गंगाजल का छिड़काव करें और गणपति जी को प्रणाम करें।
4. गणेश जी को सिंदूर अर्पित करें और धूप-दीप जलाएं।
5. गणेश भगवान को मोदक, लड्डू, पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और 21 दूर्वा अर्पित करें।
6. पूरे परिवार सहित गणेश जी की आरती करें।
वहीं दूसरी ओर ये भी माना जाता है कि गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, सोमवार, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था। गणेश चतुर्थी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। और इसलिए यह चतुर्थी मुख्य गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कहलाती है।
यह कलंक चतुर्थी के नाम से भी प्रसिद्ध है और लोक परम्परानुसार इसे डण्डा चौथ भी कहा जाता है।
ऐसे में इस बार भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी 10 सितंबर, 2021(शुक्रवार) को रहेगी।

भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) मुहूर्त्त…
गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त :11:03:03 से 13:32:58 तक
अवधि :2 घंटे 29 मिनट
समय जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है :09:11:59 से 20:52:59 तक
बुधवार होता है श्री गणेश जी का दिन-

साथ ही ऐसे में आज हम बुधवार के दिन श्री गणेश की पूजा के संबंध में कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं। जिनके संबंध में मान्यता है कि इन्हें अपनाने से श्री गणेश बहुत जल्द प्रसन्न होकर अपने भक्त को मनचाहा आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
वहीं ज्योतिष शास्त्र में सप्ताह का हर दिन एक विशेष देव की पूजा को समर्पित है। इसमें बुधवार का दिन भगवान गणेश का माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन गणपति आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं, जिसके चलते भक्तों को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
श्री गणेश जी को बुध का कारक देव भी माना जाता है, इसीलिए बुधवार को भगवान गणेश का वार माना जाता है। ऐसे में बुधवार को गणेश की पूजा विशेष मनोरथ सफल करने वाली मानी जाती है। मान्यता के अनुसार गणेश जी की पूजा न केवल आपके कार्यों में आ रही अड़चनों को हटाती है, बल्कि आपकी हर मनोकामना को भी पूरी करती है।

अगर आप भगवान गणेश की कृपा हासिल करना चाहते हैं तो बुधवार के दिन कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं। तो मान्यता के अनुसार इन उपायों के करने से हर मनोकामना पूरी हो सकती है…

गणपति की उपासना का मंत्र…
बुधवार के दिन गणपति को बड़े ही आसान उपाय से प्रसन्न किया जा सकता है. इनमें एक उपाय यह मंत्र जाप भी है.
‘त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
इस दिन इस मंत्र का जाप विशेष रूप से करना चाहिए।

गणेश भगवान की पूजा विधि:
प्रात: काल स्नान ध्यान आदि से शुद्ध होकर सर्वप्रथम ताम्र पत्र के श्री गणेश यन्त्र को साफ मिट्टी, नमक, निम्बू से अच्छे से साफ किया जाए। पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख कर के आसान पर विराजमान हो कर सामने श्री गणेश यन्त्र की स्थापना करें।

शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि गणेश भगवान को समर्पित कर, इनकी आरती की जाती है।
अंत में भगवान गणेश जी का स्मरण कर ‘ऊँ गं गणपतये नम:’ का 108 नाम मंत्र का जाप करना चाहिए।

बुधवार को करें ये उपाय (मान्यता के अनुसार)…
: इस दिन सफेद रंग के गणपति की स्थापना करें, इससे सभी प्रकार की तंत्र बाधाओं का नाश होता है।
: इस दिन गणेश को घी और गुड़ का भोग लगाएं, फिर बाद में वहीं भोग गाय को खिला देंं। धन संबंधी समस्याओं का निवारण होगा।
: दूर्वा से प्रतीकात्मक मूर्ति बनाएं और इसकी विधि विधान से पूजा करें, घर का कलेश खत्म होगा।
: घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की प्रतिमा लगाए, इससे नकारात्मक शक्ति घर में नहीं आती।

ये हैं खास उपाय:
दूर्वा: गणेश जी को खुश करने का सबसे सस्ता और आसान उपाय है दूर्वा से गणेश जी की पूजा करना। दूर्वा गणेश जी को इसलिए प्रिय है क्योंकि दूर्वा में अमृत मौजूद होता है।
गणपति अथर्वशीर्ष में कहा गया गया है कि जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा दुर्वांकुर से करता है, वह कुबेर के समान हो जाता है। कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं। कुबेर के समान होने का मतलब है व्यक्ति के पास धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती है।

मोदक: गणेश जी को प्रसन्न करने का दूसरा सरल तरीका है मोदक का भोग। गणपति अथर्वशीर्ष में लिखा है कि जो व्यक्ति गणेश जी को मोदक का भोग लगाता है गणपति उनका मंगल करते हैं। मोदक का भोग लगाने वाले की मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों में मोदक की तुलना ब्रह्म से की गयी है। मोदक भी अमृत मिश्रित माना गया है।

घी: पंचामृत में एक अमृत घी होता है। घी को पुष्टिवर्धक और रोगनाशक कहा जाता है। भगवान गणेश को घी काफी पसंद है। गणपति अथर्वशीर्ष में घी से गणेश की पूजा का बड़ा महात्म्य बताया गया है।

कहा जाता है कि जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा घी से करता है उसकी बुद्धि प्रखर होती है। घी से गणेश की पूजा करने वाला व्यक्ति अपनी योग्यता और ज्ञान से संसार में सब कुछ हासिल कर लेता है।
सनातन व हिन्दू शास्त्रों में भगवान गणेश जी को, विघ्नहर्ता यानि सभी तरह की परेशानियों को खत्म करने वाला बताया गया है। पुराणों में गणेशजी की भक्ति शनि सहित सारे ग्रहदोष दूर करने वाली भी बताई गई हैं। हर बुधवार के शुभ दिन गणेशजी की उपासना से व्यक्ति का सुख-सौभाग्य बढ़ता है और सभी तरह की रुकावटें भी दूर होती हैं।

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