जो हनुमान चालीसा पढ़ते है उनके भीतरी शक्ति तो स्वतः ही आ जाती है, लेकिन अगर आप इसके अर्थ में छिपे जिंदगी के सूत्र समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिला सकते हैं। हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। जानें हनुमान चालीसा से अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव लाया जा सकता है।
इस तरह हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति हो सकता है मालामाल
हनुमान चालीसा की शुरुआत गुरु से हुई हैं..
श्रीगुरु चरन सरोज रज।
निज मनु मुकुरु सुधारि।।
अर्थात – अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं- गुरु का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है। जीवन में गुरु नहीं है तो आपको कोई भी आगे नहीं बढ़ा सकता। गुरु ही आपको सही रास्ता दिखा सकते हैं। इसलिए तुलसीदास ने लिखा है कि गुरु के चरणों की धूल से मन के दर्पण को साफ करता हूं। आज के दौर में गुरु हमारा मेंटोर भी हो सकता है, बॉस भी। माता-पिता को पहला गुरु ही कहा गया है। समझने वाली बात ये है कि गुरु यानी अपने से बड़ों का सम्मान करना जरूरी है। अगर तरक्की की राह पर आगे बढ़ना है तो विनम्रता के साथ बड़ों का सम्मान करें।
1- पहनावें का रखें ख्याल.. कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।। अर्थात – हनुमान जी के शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है, सुवेष यानी अच्छे वस्त्र पहने हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल संवरे हुए है। आज के दौर में व्यक्ति की तरक्की इस बात पर भी निर्भर करती है कि वह रहता और दिखता कैसे है। फर्स्ट इंप्रेशन अच्छा होना चाहिए। अगर कोई बहुत गुणवान भी हैं लेकिन अच्छे से नहीं रहते हैं तो ये बात व्यक्ति के करियर को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, रहन-सहन और पहनावा हमेशा अच्छा रखें।
राम काज करिबे को आतुर।। अर्थात – हनुमान जी विद्यावान हैं, गुणों की खान हैं, चतुर भी हैं। राम के काम को करने के लिए सदैव आतुर रहते हैं। आज के दौर में एक अच्छी डिग्री होना बहुत जरूरी है। लेकिन चालीसा कहती है सिर्फ डिग्री होने से व्यक्ति सफल नहीं होंगे। विद्या हासिल करने के साथ उसे अपने गुणों को भी बढ़ाना पड़ेगा, बुद्धि में चतुराई भी लानी होगी। हनुमान में तीनों गुण हैं, वे सूर्य के शिष्य है, गुणी भी हैं और चतुर भी।
राम लखन सीता मन बसिया।। अर्थात – हनुमान जी राम चरित यानी राम की कथा सुनने में रसिक है, राम, लक्ष्मण और सीता तीनों ही हनुमान जी के मन में वास करते हैं। जो व्यक्ति की प्रायोरिटी है, जो काम है, उसे लेकर सिर्फ बोलने में नहीं, सुनने में भी व्यक्ति को रस आना चाहिए। अच्छा श्रोता होना बहुत जरूरी है। अगर किसी के पास सुनने की कला नहीं है तो वह कभी भी अच्छे लीडर नहीं बन सकते।
बिकट रुप धरि लंक जरावा।। अर्थात – हनुमान जी ने अशोक वाटिका में सीता को अपने छोटे रुप में दर्शन दिए, और लंका जलाते समय हनुमान जी ने बड़ा स्वरुप धारण किया। व्यक्ति को कब, कहां, किस परिस्थिति में खुद का व्यवहार कैसा रखना है, ये कला हनुमानजी से सीखी जा सकती है। सीता जी से जब अशोक वाटिका में मिले तो उनके सामने छोटे वानर के आकार में मिले, वहीं जब लंका जलाई तो पर्वताकार रुप धर लिया। अक्सर लोग ये ही तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कब किसके सामने कैसा दिखना है।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।। अर्थात – विभीषण ने हनुमान जी की सलाह मानी, और वे लंका के राजा बने ये सारी दुनिया जानती है। हनुमान जी सीता की खोज में लंका गए तो वहां विभीषण से मिले, विभीषण को राम भक्त के रुप में देख कर उन्हें राम से मिलने की सलाह दे दी। विभीषण ने भी उस सलाह को माना और रावण के मरने के बाद वे राम द्वारा लंका के राजा बनाए गए। किसको, कहां, क्या सलाह देनी चाहिए, इसकी समझ बहुत आवश्यक है। सही समय पर सही इंसान को दी गई सलाह सिर्फ उसका ही फायदा नहीं करती, आपको भी कहीं ना कहीं फायदा पहुंचाती है।
जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।। अर्थात – हनुमान जी ने राम नाम की अंगुठी को अपने मुख में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई अचरज नहीं है। अगर किसी व्यक्ति में खुद पर और अपने परमात्मा पर पूरा भरोसा है तो वह कोई भी मुश्किल से मुश्किल समय को आसानी से पूरा कर सकते हैं। आज के युवाओं में एक कमी ये भी है कि उनका भरोसा बहुत टूट जाता है। आत्मविश्वास की कमी भी बहुत है। प्रतिस्पर्धा के दौर में आत्मविश्वास की कमी होना खतरनाक है, इसलिए खुद पर पूरा भरोसा रखें।