इसलिए कहते हैं इसे गुप्त नवरात्र
माघ मास की नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती हैं । जबकि चैत्र एवं शारदीय नवरात्र में सार्वजनिक रूप में माता दुर्गा की पूजा भक्ति की जाती हैं । माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही विद्या, बुद्धि व ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं । शास्त्रों में गुप्त नवरात्र को विशेष रूप से गुप्त सिद्धियों को प्राप्त करने का साधना काल बताया गया हैं । इनका महत्व जानने वाले साधक इन दोनों गुप्त नवरात्र माघ एवं आषाढ़ माह में गुप्त रूप से विशेष साधना कर अनेक ऋद्दि सिद्धिया प्राप्त करते हैं ।
साल के 4 नवरात्रि काल
भारतीय हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, एक साल में कुल 4 नवरात्र आती हैं । साल के पहले मास में पहली अर्थात चैत्र नवरात्र, चौथे माह आषाढ़ में दूसरी गुप्त नवरात्र, इसके बाद अश्विन मास में तीसरी प्रमुख आश्विन नवरात्र एवं ग्यारहवें माह अर्थात माघ माह में गुप्त नवरात्र आती हैं । दोनों गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की सार्वजनिक पूजा उपासना नहीं की जाती, लेकिन इन गुप्त नवरात्रि में भगवान शिव एवं माता पार्वती के अर्धनारीश्वर महाशक्ति रूप की गुप्त रूप से आराधना की जाती हैं ।