हमारे सभ्य समाज में मनुष्य समाज का तीसरा वर्ग जिसे किन्नर कहा जाता है, को आज भी उन्हें तिरष्कार की भावना से देखा जाता है। ऐसे में मध्यप्रदेश के धार जिले के मनावर खलघाट में गायत्री परिवार के कार्यकर्ताओं ने एक अनुठी पहल शुरू की। गायत्री परिवार द्वारा सैकड़ों किन्नरों से संपर्क कर उनकों गायत्री मंत्र जप एवं मंत्रलेखन के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
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हम धन्य हो गये
गायत्री परिवार की कार्यकर्ता विनीता प्रशांत खंडेलवाल ने बताया कि धार जिले के गायत्री शक्ति पीठ खलघाट में किन्नर समाज को एकत्रित कर गायत्री मंत्र लेखन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। गायत्री परिवार की ओर से गायत्री मंत्र लेखन की पुस्तिका सैकड़ों की संख्या में किन्नरों समाज को निःशुल्क भेंट की। गायत्री मंत्र के जप एवं लेखन की बात को सैकड़ों किन्नरों ने एक स्वर में स्वीकार करते हुए कहा कि जहां एक ओर हमें समाज में तिरष्कार का सामना करना पड़ता है, ऐसे में हमें गायत्री परिवार ने सम्मान देकर, गायत्री महामंत्र के जप और लेखन के योग्य समझकर हम पर बहुत बड़ा उपकार किया है, हमारा जीवन धन्य हो गया।
किन्नर नहीं हमें इस नाम से पुकारों
गायत्री मन्त्र लेखन एवं जप करके हम भी विश्व के कल्याण के लिए मां गायत्री से प्रार्थना करेंगे। क्षेत्रीय किन्नर प्रमुख ने कहा कि हमें सदियों से समाज से उपेक्षित माना जाता रहा है मगर गायत्री परिवार ने विशेषकर हमारे लिए ही यह मंत्र लेखन का कार्यक्रम रखा, इसके लिए हमारा पूरा किन्नर समाज, गायत्री परिवार का अभारी है, जिसने हमें इस योग्य समझा। हम चाहते हैं कि समाज हमें किन्नर नहीं मंगलामुखी के नाम से संबोधित करें।
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कोई भी जप सकता है गायत्री मंत्र
गायत्री मंत्र को जन-जन तक पहुंचाने वाले गायत्री के सिद्ध साधक आचार्य श्रीराम शर्मा ने कहा है कि कोई भी दीन, दुःखी, अपाहिज, दरिद्र अथवा मूर्ख पुरुष भगवन्नाम या उनके मंत्रों का जप करके इसी जन्म में कृतकृत्य हो सकता है। विश्व समाज कल्याण की सुख-शांति की कामना हो या फिर अपने प्राणों की रक्षा हेतु भगवान के मंत्र जप एक तरह से रक्षा कवच का काम करते हैं। इसलिए तो भगवन्नाम का जप केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि यक्ष, गंधर्व, किन्नर कोई भी कर सकता है, खासकर गायत्री मंत्र तो कोई भी जप सकता है, इस पर किसी जाति धर्म का कोई बंधन नहीं है।
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