इससे पहले भगवान गणेश की पूजा आरती की जाती है, फल-फूल प्रसाद चढ़ाया जाता है और नारियल का भोग लगाया जाता है। बाद में छोटी प्रतिमाओं को लोग घरों में साफ टब आदि में भी विसर्जित कर सकते हैं, जबकि अन्य के लिए ढोल-नगाड़ों के साथ धूमधाम से चल-समारोह निकालकर गणेश प्रतिमा को नदी या तालाब तक लाया जाता है और भक्त गणेश भगवान के नाम के जयकारों “गणपति बप्पा मोरया” और “गणेश महाराज की जय” के नारे लगाते हुए प्रतिमा विसर्जन कर भगवान को विदा करते हैं। साथ में अगले वर्ष के लिए निमंत्रण भी देते हैं।
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अनंत चतुर्दशी का व्रत (Anant Chaturdashi Vrat)
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा भी की जाती है। साथ ही भक्त उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा कर हाथ में अनंत सूत्र बांधते हैं। मान्यता है कि अनंत सूत्र में वास करने वाले भगवान भक्तों की हर संकट में रक्षा करते हैं।कब है अनंत चतुर्दशी
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि प्रारंभः सोमवार 16 सितंबर 2024 को दोपहर 03:10 बजे सेभाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि समापनः मंगलवार 17 सितंबर 2024 को सुबह 11:44 बजे तक अनंत चतुर्दशी (उदयातिथि): मंगलवार 17 सितंबर 2024 को
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्तः मंगलवार 17 सितंबर सुबह 06:07 बजे से सुबह 11:44 बजे तक
अवधिः 05 घंटे 37 मिनट्स
अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जनः मंगलवार 17 सितंबर 2024 को ये भी पढ़ेंः रेंट पर लेने जा रहे हैं मकान तो जरूर देख लें इस चीज की दिशा, वर्ना मुसीबत देख लेगी घर, हो जाएंगे कंगाल
गणेश विसर्जन मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत): 17 सितंबर सुबह 09:11 बजे से दोपहर 01:47 बजे तकअपराह्न मुहूर्त (शुभ) : दोपहर 03:19 बजे से दोपहर 04:51 बजे तक
सायंकाल मुहूर्त (लाभ): शाम 07:51 बजे से रात 09:19 बजे तक
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर): रात 10:47 बजे से अगले दिन 18 सितंबर सुबह 03:12 बजे तक (देर रात)