चैत्र नवरात्र किसी भी दिन किसी प्राचीन देवी मंदिर में या फिर अपने घर के पूजा स्थल में सुबह 4 बजे से 6 बजे बीच लाल रंग के आसन पर आंख बंद करके बैठें। अब ध्यान करें की आप जगत जननी माता दुर्गा की गोद में नन्हें शिशु की तरह बैठे हैं। 24 मिनट तक माँ की गोद में बैठकर मन ही मन माता से प्रार्थना करें कि वे आपके ऊपर माता की कृपा बरस रही है, सारे संकट दूर हो रहें हैं। इसके बाद इस बीज मंत्र का जप लाल चंदन की माला से ग्यारह सौ बार जपें।
मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चै, ॐ ग्लौं ह्रीं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चै ज्वल हं सं लं क्षं फट स्वाहा॥
उक्त मंत्र जप के बाद एक बार श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करें। निश्चित रूप में माता लाल कपड़े पहने किसी छोटी कन्या के रूप में दर्शन देकर आपकी सभी मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद देंगी।
इसके अलावा भी चैत्र नवरात्रि में इन उपायों को भी करें-
– घर के पूजा स्थल पर गाय के घी का दीपक जलाकर माँ दुर्गा के इस बीज मंत्र का जप 551 बार करने से माँ दुर्गा शीघ्र प्रसन्न हो जाती है।
मंत्र-
।। ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः ।।
– सिद्ध कुंजिका या दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से अनेक संकट दूर हो जाते हैं।
– चैत्र नवरात्रि में व्रत रखकर 3 से 7 साल उम्र तक की 5 कन्याओं को भोजन कराकर कुछ न कुछ दान करने कई इच्छाओं की पूर्ति होने लगती है।
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