क्या करते हैं खरना के दिन
1. खरना का अर्थ खुद को साफ और शुद्ध रखना है। इसके लिए शुद्ध भोजन भी करते हैं। इसको लोहंडा के नाम से भी जानते हैं। इस पूजा में शुद्धता का खास खयाल रखा जाता है। इसी दिन से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है।
2. छठ पूजा के दूसरे दिन खरना का भोजन और छठ का प्रसाद भी बनाते हैं।
3. इस दिन प्रसाद बनाने के लिए नई मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग करते हैं, जिस पर साठी के चावल, दूध और गुड़ की खीर बनाई जाती है।
4. खरना में पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, घी लगी हुई रोटी और फलों का सेवन करते हैं। इसके बाद व्रत शुरू हो जाता है।
5. खरना का प्रसाद और भोजन जो बच जाता है उसे घर के अन्य सदस्यों को प्रसाद रूप में दिया जाता है।
6. खरना के दिन शाम को नदी या तालाब पर जाकर सूर्य को जल दिया जाता है और इसके बाद छठ का कठिन व्रत आरंभ हो जाता है।
1. खरना का अर्थ खुद को साफ और शुद्ध रखना है। इसके लिए शुद्ध भोजन भी करते हैं। इसको लोहंडा के नाम से भी जानते हैं। इस पूजा में शुद्धता का खास खयाल रखा जाता है। इसी दिन से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है।
2. छठ पूजा के दूसरे दिन खरना का भोजन और छठ का प्रसाद भी बनाते हैं।
3. इस दिन प्रसाद बनाने के लिए नई मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग करते हैं, जिस पर साठी के चावल, दूध और गुड़ की खीर बनाई जाती है।
4. खरना में पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, घी लगी हुई रोटी और फलों का सेवन करते हैं। इसके बाद व्रत शुरू हो जाता है।
5. खरना का प्रसाद और भोजन जो बच जाता है उसे घर के अन्य सदस्यों को प्रसाद रूप में दिया जाता है।
6. खरना के दिन शाम को नदी या तालाब पर जाकर सूर्य को जल दिया जाता है और इसके बाद छठ का कठिन व्रत आरंभ हो जाता है।