चैत्र नवरात्रि : 2020 में इस सिद्ध योग में होगी माँ दुर्गा की पूजा आराधना
1- माँ रक्तदंतिका- माँ दुर्गा भवानी ने देवताओं की रक्षा के लिए नंदगोप की पत्नी यशोदा के पेट से जन्म लिया और विन्ध्याचल पर्वत पर निवास करने लगी। कुछ समय बाद वैप्रचित्त दानव का नाश करने के लिए एक अत्यंत भयंकर रूप में पृथ्वी पर अवतार लेकर अपने दांतों से दैत्यों को चबा डाला, जिससे माता के समस्त दन्त अनार के दानों के रंग की तरह लाल दिखाई देने लगे। तभी से माँ दुर्गा की रक्तदंतिका देवी के रूप में भी पूजा होने लगी।
2- माँ शताक्षी- अगला अवतार माँ ने तब लिया जब इस धरा पर 100 वर्षो तक वर्षा नही हुई, तब ऋषि-मुनियों की स्तुति आवाहन करुण पुकार सुनकर माता प्रगट हुई। इस अवतार में माता ने अपने सौ नेत्रों के माध्यम से दुखी भक्तों को देखकर उनके संकट दूर किए। तभी से माता ‘शताक्षी’ माता अर्थात सौ आँखों वाली देवी के रूप में पूजी जाने लगी।
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3- माँ शाकम्बरी देवी- इस अवतार में माता ने 100 वर्षों तक बारिश नहीं होने पर धरती पर जीवन बचाने के लिए माँ शाकम्बरी देवी के रूप में अवतरित हुई और अपनी अनेकों शाखाओं से भरण पोषण कर वर्षा होने तक रक्षा की।
4- दुर्गा- इसी अवतार में माँ दुर्गा ने दुर्गम नाम के एक दैत्य का संहार कर भक्तों की रक्षा की थी, तभी से माता का नाम दुर्गा पड़ा।
5- माँ भीमा देवी- माँ भवानी ने ‘भीमा देवी’ के रूप में अवतार लेकर उन राक्षसों का वध किया जो हिमालय में रहने वाले ऋषि – मुनियों को परेशान करते थे, उनकी पूजा में विघ्न डालते थे। राक्षसों का वध कर माता ने ऋषि – मुनियों को सभी संकटों को हर लिया था।
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6- माँ भ्रामरी माता – जब तीनों लोकों में अरुण नाम के दैत्य का अत्याचार बढ़ने लगा और सृष्टि त्राहिमाम होने लगा तब, ऋषि – मुनियों और देवताओं के आवाहन पर उनकी रक्षा के लिए माता ने छह पैरों वाले असंख्य भ्रमरों का रूप धारण कर अरुण दैत्य का नाश किया, तभी से मां आद्यशक्ति दुर्गा ‘भ्रामरी माता’ के नाम से पूजी जाने लगी।
शास्त्रोंक्त मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में जो भी भक्त माँ दुर्गा के इन अवतारों के नामों का 108 बार उच्चारण, या जप करता है, माँ दुर्गा भवानी उनके सभी बिगड़े कामों को पल भर में बना देती है। नवरात्र में किसी भी दिन ब्राह्म मुहूर्त में माँ दुर्गा के इन महा अवतारों के नामों जप किया जाता है।
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