माना जाता है कि इसी के बाद इस सृष्टि को स्वर मिला। तब ही से मां सरस्वती की पूजा की जाती है और बसंत पंचमी के दिन उनका जन्मदिन मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
शास्त्रों में मां सरस्वती के 12 नाम बताएं गए हैं। मान्यता है कि इन नामों को नियमित रूप से जप करने से जिह्वा के अग्रभाग में मां सरस्वती का वास हो जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने वाला व्यक्ति बहुत ज्ञानी हो जाता है और समाज में उसे मान-सम्मान मिलता है।
मां सरस्वती के 12 नाम
प्रथम भारती नाम, द्वितीय च सरस्वती, तृतीय शारदा देवी, चतुर्थ हंसवाहिनी, पंचमम् जगतीख्याता, षष्ठम् वागीश्वरी तथा सप्तमम् कुमुदीप्रोक्ता, अष्ठमम् ब्रह्मचारिणी, नवम् बुद्धिमाता च दशमम् वरदायिनी, एकादशम् चंद्रकांतिदाशां भुवनेशवरी, द्वादशेतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेनर: जिह्वाग्रे वसते नित्यमं ब्रह्मरूपा सरस्वती सरस्वती महाभागे विद्येकमललोचने विद्यारूपा विशालाक्षि विद्या देहि नमोस्तुते।।
देवी सरस्वती की आराधना करते वक्त इस श्लोक का करें उच्चारण
ऊँ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।
वंदे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:।
ऊँ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।
वंदे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:।