पानी के अभाव में प्रोसेसिंग यूनिट नहीं लग सकी
वर्तमान में दौसा जिले के अलावा बाराबंकी, हुगली मराठवाड़ा, ग्वालियर में भी तिरंगे का कपड़ा तैयार किया जाता है। वहां तिरंगे की प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित हैं जहां कपड़े को तिरंगे का रूप दिया जाता है। दौसा में खादी समिति ने कई बार तिरंगे की प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने की कार्य योजना तैयार की गई है, लेकिन यहां पानी का अभाव तथा उपलब्ध पानी भी फ्लोराइड युक्त होने के कारण प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित नहीं हो सकी और वर्तमान में केवल यहां तिरंगे का कपड़ा बनाया जाता है।
बाजार से महंगे खादी के ध्वज
हर घर तिरंगा अभियान के चलते गत वर्ष से तिरंगे की खूब बिक्री हो रही है। डाकघरों में 25 रुपए में झण्डा मिल रहा है तो बाजार में भी अलग-अलग साइज के हिसाब से अधिकतम 150 रुपए में ध्वज मिल जाते हैं। वहीं खादी के ध्वज खरीदना महंगा पड़ता है। न्यूनतम ध्वज की कीमत करीब 980 रुपए है। अधिकतर कार्यालयों में हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस को फहराने वाले तथा खादी प्रेमी ही खादी समिति से ध्वज लेते हैं।
इनका कहना है….
जसोता-बनेठा में खादी के तिरंगे का कपड़ा बुना जाता है। यहां के कुशल कारीगर काफी समय से यह कपड़ा बुन रहे हैं। ध्वज निर्माण की प्रोसिसिंग यूनिट लगाने के लिए कई बार प्रयास किए। बिशनपुरा में जमीन भी खरीदी, लेकिन पानी की कमी से यूनिट नहीं लग पाती है।
अनिल शर्मा, मंत्री खादी समिति दौसा