दिनभर मौके पर मौजूद हजारों ग्रामीण भगवान से बालक की सलामती की प्रार्थना करते रहे। वहीं दूसरी ओर बच्चे के पिता जगदीश मीना रातभर हाथ में दूध से भरी बोतल लेकर बोरवेल के समीप इस उम्मीद में बैठे रहे कि तीन दिन से भूखे-प्यासे उनके लाल को कुछ खिला-पिला दूं। बच्चे के माता-पिता भी तीन दिन से भूखे रहकर सिर्फ आर्यन के सकुशल बाहर आने की कामना भगवान से कर रहे हैं।
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मां की चिंता इतनी बढ़ गई कि तबीयत बिगड़ गई। इस पर चिकित्सक ने आकर उपचार किया। आर्यन के रेस्क्यू ऑपरेशन में जैसे-जैसे समय गुजरता जा रहा था, वैसे-वैसे ही माता-पिता और मौके पर उपस्थित हजारों लोगों की धडक़नें तेज होती जा रही हैं। हर किसी को चमत्कार की उम्मीद है। बुधवार को पाइलिंग मशीन से जमीन के अंदर सुंरग बनाकर बालक को निकालने के प्रयास किए गए। यह भी पढ़ें