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40 साल से मौन, निमंत्रण नहीं मिला तो, ‘बोल पड़े’ मौनी बाबा

ऐसे एक नहीं हैं बल्कि देशभर में कई साधु संत हैं जिन्होंने राम जन्मभूमि पर राम मंदिर के निर्माण के लिए कई संकल्प लिए और आधे से ज्यादा जीवन संघर्षों में गुजार रहे हैं। लेकिन अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के उत्सव अवसर पर इन्हें आने का निमंत्रण नहीं मिला है। इन्हीं में से एक हैं एमपी के ये मौनी बाबा। आप भी जानें कहां के रहने वाले हैं ये बाबा, इस ऐतिहासिक मौके का आमंत्रण न मिलने पर क्या ‘बोल पड़े’ मौनी बाबा…

दतियाJan 16, 2024 / 11:06 am

Sanjana Kumar

‘जब तक मंदिर नहीं बनेगा, तब तक मौन नहीं तोड़ूंगा और ना ही अन्न ग्रहण करूंगा। इसके साथ ही पैरों में चप्पल भी नहीं पहनूंगा।’ राम मंदिर निर्माण को लेकर 40 साल पहले मौन धारण करने वाला मध्यप्रदेश का यह बाबा केवल फलों पर जिंदा है। अपनी बातें एक स्लेट पर चॉक से लिखता है और नंगे पैर ही रहता है। ऐसे एक नहीं हैं बल्कि देश भर में ऐसे कई साधु संत हैं जिन्होंने राम जन्मभूमि पर राममंदिर के निर्माण के लिए कई संकल्प लिया और आधे से ज्यादा जीवन संघर्षों में गुजारा। लेकिन अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के उत्सव अवसर पर इन्हें आने का निमंत्रण नहीं मिला है। इन्हीं में से एक हैं एमपी के ये मौनी बाबा। आप भी जानें कहां के रहने वाले हैं ये बाबा, इस ऐतिहासिक मौके का आमंत्रण न मिलने पर क्या ‘बोल पड़े’ मौनी बाबा…

40 साल से मौन व्रत पर बैठे ये बाबा

मध्यप्रदेश के दतिया के रहने वाले हैं। इन्होंने राम मंदिर बनने तक मौन रहने का प्रण लिया था। न अन्न ग्रहण किया और न ही पैरों में चप्पल पहनीं। ये हैं मौन व्रत की कहानी जिन्होंने 1984 से ही अयोध्या में रामलला के मंदिर बनने तक मौन रहने का प्रण लिया है। साथ ही उन्होंने यह भी प्रण लिया है कि जब तक मंदिर बन नहीं जाएगा, तब तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। पिछले 40 साल से फल खाकर ही जी रहे हैं। उन्होंने पैरों में चप्पल न पहनने का भी प्रण लिया हुआ है। अब लोग उन्हें मौनी बाबा कहकर पुकारते हैं।

लिखकर करते हैं बात

चूंकि उन्हें राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के उत्सव में जाने का मौका नहीं मिला है। इसलिए उन्होंने अब निर्णय किया है कि वे 22 जनवरी के उत्सव के मौके पर राम नाम का जप करेंगे और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान मौन तोड़ेंगे। ये बात उन्होंने चॉक से लिखकर लोगों को बताई है। आपको बता दें कि वे इतने सालों से लोगों से लिखकर ही बात करते हैं।

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