दमोह शहर का दायरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। आसपास के अनेक गांव, शहर का हिस्सा बन चुके हैं। इससे शहर से सटे अन्य गांव में भी बदलाव साफ नजर आ रहा है। यहां खासतौर पर जमीनों के दामों में तेजी से उछाल आ रहा है।
दमोह जिला मुख्यालय का जिस तेजी से विस्तार हो रहा है, उससे शहर का नक्शा ही बदल गया है। बीते 5 सालों में शहर का दायरा करीब दोगुना बढ़ गया है। 5 से ढाई वर्ग किलोमीटर में पसरा शहर अब 5 वर्ग किलोमीटर में पसर चुका है।
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जिला मुख्यालय में आए इस भौगोलिक बदलाव के कारण आसपास के गांवों में शहरीकरण का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देने लगा है। दमोह के 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में जमीनों के दाम अब पहले के मुकाबले काफी महंगे हो चुके हैं। दाम बढऩे का एक बड़ा कारण आसपास के गांवों में तेजी से कॉलोनियां विकसित होना भी है। कई कॉलोनियां न सिर्फ विकसित हो चुकी हैं, बल्कि एक बड़ी आबादी इनमें निवास भी कर रही है। इससे लोगों का जमीन में निवेश की ओर रुझान बढ़ रहा है।
दरअसल, दमोह वासियों को उम्मीद है कि शहरीकरण के कारण रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। आगे चलकर आसपास जमीन मिलना मुश्किल हो जाएगी। यही कारण है कि लोग जमीन खरीदने आगे आ रहे हैं जिससे जमीन की कीमतें भी बढ़ रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि शहरी आबादी के दबाव और सुविधाओं की मांग के चलते जमीनों की कीमतें आसमान छुएंगी। शहर का यह तेजी से बढ़ता दायरा न केवल विकास का प्रतीक है, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच के फासले को भी कम कर रहा है।
इससे जमीनों की कीमतों में बड़ा उछाल देखा जा रहा है। पहले जिन गांव में जमीनें एकड़ के हिसाब से औने पौने दाम में बिक जाती थीं, उन्हीं गांव में अब जमीन के दाम मानो आसमान पर पहुंच गए हैं। दमोह के आसपास के गांवों में जमीनों की दर 2 हजार रुपए प्रति वर्गफीट की दर से शुरू होकर, 5 हजार रुपए प्रति वर्गफीट तक पहुंच चुकी है।