पत्रिका ने रविवार को एसएनसीयू की पड़ताल की। यहां आग पर काबू पाने के लिए अलग-अलग जगहों पर 14 छोटे फायर एक्सटिंग्विशर रखे पाए, जिनकी एक्सपायरी फरवरी 2025 मिली। इधर, एसएनसीयू में 48 नवजात भर्ती होना बताए गए। सुरक्षा के लिहाज से एसएनसीयू में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं मिला, जो बेहद जरूरी है। इससे समय रहते आग पर काबू पाया जा सकता है। आग पर काबू पाने के लिए यूनिट प्रबंधन पानी के बूथ और छोटे सिलेंडरों पर ही निर्भर हैं।
फायर अलार्म और स्मोक सेेंसर की है सुविधा
पड़ताल के दौरान पाया कि एसएनसीयू के अंदर फायर अलार्म लगे हैं। यह दो जगहों पर लगाए गए हैं। आग लगने की स्थिति में इनका उपयोग सूचना देने के लिए किया जाता है। स्मोक सेंसर हालही में लगवाया गया है, जो एसएनसीयू के बाहर लगा हुआ है। अंदर यह सुविधा नहीं है।
आपातकालीन द्वार पर मिली गंदगी
यहां अच्छी बात यह है कि एसएनसीयू में इस तरह की घटना होने पर नवाजातों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए मुख्य गेट के अलावा दो और रास्ते हैं। इनमें से एक रास्ता जो एमसीएच की तरफ जाता है। हालांकि इस रास्ते में गंदगी का अंबार नजर आया। बताया गया कि सीढिय़ों की सफाई होना है।
एनक्वास की टीम ने किया था निरीक्षण
5 दिन पहले एनक्वास की टीम ने भी जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। टीम एसएनसीयू भी पहुंची थी, जहां पर व्यवस्थाएं देखी। हालांकि यहां पर क्षमता से ज्यादा नवजात मिले। वार्मर संख्या बढ़ाने के लिए डॉक्टर्स ने टीम को बोला है।फायर फाइटिंग को लगाने की तैयारी चल रही है। आग पर काबू पाने के सभी इंतजाम हमारे पास हैं।
डॉ. जलज बजाज, प्रभारी एसएनसीयू