स्वास्थ्य में अब तक नहीं हुआ सुधार-
स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर दीपक उपाध्याय का कहना है कि पटेरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अब तक मरीजों को सुविधाएं नहीं होने से मरीजों को या तो दमोह रेफर किया जाता है, या फिर सीधे जबलपुर ही रेफर कर दिया जाता है। डाक्टरों की कमी के चलते पूर्व में पटेरा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम नीमखेड़ा निवासी एक ही परिवार के पांच सदस्यों की मौत हुई थी, लेकिन उसके बाद भी प्रशासन ने अब तक डॉक्टरों की स्थायी व्यवस्था नहीं कराई। जिससे पूरे क्षेत्र के लोग परेशान हैं।
आईटीआई खोला लेकिन व्यवस्था नहीं कराई –
पटेरा निवासी निखिल जैन का कहना है कि आईटीआई कॉलेज खोलने के बाद यहां स्थायी व्यवस्था नहीं की जा सकी है। खास बात यह है कि पहुंच मार्ग भी इतना जर्जर है कि छात्र आईटीआई कॉलेज जाने के लिए तैयार नहीं होते। सालों बाद भी इस ओर शिकायतों के बाद भी किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस मामले में भी क्षेत्रीय लोगों ने इस विधानसभा में मुद्दा बनाने का मन बना रखा है।
खुले में खड़े होकर करते हैं बस का इंतजार –
स्थानीय निवासी सानू सोनी व भरत ताम्रकार का कहना है कि हर बार लोग चुनाव होते ही वोटें मांगने तो आ जाते हैं, लेकिन समस्याओं की ओर किसी का ध्यानाकर्षण नहीं होता। पटेरा तहसील मुख्यालय होने के बावजूद यहां यात्री प्रतीक्षालय क्षतिग्रस्त हालत में सालों से पड़ा हुआ है। सभी जनप्रतिनिधियों की जानकारी है, फिर भी किसी ने इस ओर ध्यानाकर्षण नहीं किया। यात्रियों को खुले आसमान के नीचे बसें आने का इंतजार करना पड़ता है।
स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर दीपक उपाध्याय का कहना है कि पटेरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अब तक मरीजों को सुविधाएं नहीं होने से मरीजों को या तो दमोह रेफर किया जाता है, या फिर सीधे जबलपुर ही रेफर कर दिया जाता है। डाक्टरों की कमी के चलते पूर्व में पटेरा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम नीमखेड़ा निवासी एक ही परिवार के पांच सदस्यों की मौत हुई थी, लेकिन उसके बाद भी प्रशासन ने अब तक डॉक्टरों की स्थायी व्यवस्था नहीं कराई। जिससे पूरे क्षेत्र के लोग परेशान हैं।
आईटीआई खोला लेकिन व्यवस्था नहीं कराई –
पटेरा निवासी निखिल जैन का कहना है कि आईटीआई कॉलेज खोलने के बाद यहां स्थायी व्यवस्था नहीं की जा सकी है। खास बात यह है कि पहुंच मार्ग भी इतना जर्जर है कि छात्र आईटीआई कॉलेज जाने के लिए तैयार नहीं होते। सालों बाद भी इस ओर शिकायतों के बाद भी किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस मामले में भी क्षेत्रीय लोगों ने इस विधानसभा में मुद्दा बनाने का मन बना रखा है।
खुले में खड़े होकर करते हैं बस का इंतजार –
स्थानीय निवासी सानू सोनी व भरत ताम्रकार का कहना है कि हर बार लोग चुनाव होते ही वोटें मांगने तो आ जाते हैं, लेकिन समस्याओं की ओर किसी का ध्यानाकर्षण नहीं होता। पटेरा तहसील मुख्यालय होने के बावजूद यहां यात्री प्रतीक्षालय क्षतिग्रस्त हालत में सालों से पड़ा हुआ है। सभी जनप्रतिनिधियों की जानकारी है, फिर भी किसी ने इस ओर ध्यानाकर्षण नहीं किया। यात्रियों को खुले आसमान के नीचे बसें आने का इंतजार करना पड़ता है।
विकास के नाम पर कुछ भी नहीं-
मुजाबिर खान व दुलीन्द चौधरी का कहना है कि पिछले कई सालों से क्षेत्र के लोग सड़क, पानी व बिजली के लिए परेशान हैं, लोगों को रोजगार नहीं मिलने से उन्हें दूसरे जिलों में जाकर मजबूरी करना विवशता रहती है। लोगों ने कई बार उद्योग कारखानों को खोले जाने की मांग की। लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। यही कारण है कि क्षेत्र के मतदाताओं ने इस चुनावी मुद्दा बनाने का मन बना रखा है।
मुजाबिर खान व दुलीन्द चौधरी का कहना है कि पिछले कई सालों से क्षेत्र के लोग सड़क, पानी व बिजली के लिए परेशान हैं, लोगों को रोजगार नहीं मिलने से उन्हें दूसरे जिलों में जाकर मजबूरी करना विवशता रहती है। लोगों ने कई बार उद्योग कारखानों को खोले जाने की मांग की। लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। यही कारण है कि क्षेत्र के मतदाताओं ने इस चुनावी मुद्दा बनाने का मन बना रखा है।