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दमोह

पेन किलर और अनियंत्रित बीपी-शुगर से लोगों की किडनी हो रही खराब, इलाज के नाम पर सिर्फ है डायलिसिस

अनियंत्रित ब्लड प्रेशर-शुगर और लगातार पेन किलर दवाओं के सेवन के कारण लोगों की किडनी खराब हो रही हैं। खासबात यह है कि हर महीने अस्पताल में डायलिसिस करा रहे एक मरीज की मौत भी हो रही है।

दमोहJun 30, 2024 / 05:49 pm

Suryakant Pauranik

हर महीने एक से दो किडनी मरीजों की हो रही मौत

हर महीने एक से दो किडनी मरीजों की हो रही मौत

-संभाग में आर्गन ट्रांसप्लांट की नहीं सुविधा, जिला अस्पताल में लगभग 5 हजार हो रही डालिसिस की जांच

दमोह. अनियंत्रित ब्लड प्रेशर-शुगर और लगातार पेन किलर दवाओं के सेवन के कारण लोगों की किडनी खराब हो रही हैं। खासबात यह है कि हर महीने अस्पताल में डायलिसिस करा रहे एक मरीज की मौत भी हो रही है। इधर, जिले में विशेषज्ञ और आर्गन ट्रांसप्लांट की सुविधा न होने से किडनी रोगी अपनी जान से भी हाथ धो रहे हैं। जिला अस्पताल की बात करें तो यहां पर एक भी नेफ्रोलॉजिस्ट नहीं है। हालांकि यहां पर डायलिसिस की सुविधा पिछले 9 साल से है। यहां से मिली जानकारी के मुताबिक प्रतिदिन 16 मरीजों की डायलिसिस हो रही है। देखा जाए तो चार रविवार को छोड़कर शेष 26 दिनों में 416 डायलिसिस की जा रही हैं। साल भर में यह जांच का आंकड़ा लगभग 5 हजार के आसपास पहुंच रहा है।
किडनी खराब होने के पीछे इलाज में लापरवाही बरतना भी बताया जा रहा है। इसके अलावा शराब की लत भी लोगों की किडनी को खराब कर रही है। जिला अस्पताल में किडनी रोग से पीडि़त मरीजों को लंबे अरसे बाद राहत मिली है। मुख्य गेट से
-48 मरीजों की हो रही डायलिसिस

किडनी रोगियों में डायलिसिस की जरूरत तेजी से बढ़ रही है। इसका अंदाजा सिर्फ जिला अस्पताल में दर्ज आंकड़ों से लगाया जा सकता है। यहां पर अभी वर्तमान में 48 मरीजों की डायलिसिस हो रही है। इनमें तीन मरीज हेपेटाइटिस बी के भी है। हालांकि इनकी डायलिसिस के लिए अलग से मशीन है। बता दें कि जिला अस्पताल में ६ डायलिसिस मशीने हैं।
-२२ साल के भी हैं किडनी के मरीज

यूनिट प्रभारी के अनुसार वर्तमान में जिन 48 किडनी रोगियों की डायलिसिस हो रही है। उनमें लगभग 5 मरीजों की ज्यादा उम्र नहीं है। 22 साल के आसपास है। इसके अलावा 25-40 के बीच किडनी रोगियों की संख्या दस है।
-तीन शिफ्ट में होती है जांच

यहां पर चल रहे डायलिसिस सेंटर पर तीन शिफ्ट में डायलिसिस हो रही है। इसकी वजह किडनी रोगियों की संख्या बढऩा है। जानकारी के अनुसार यहां पर तीन शिफ्ट में डायलिसिस करने के लिए तीन लैब तकनीशियन, दो स्टाफ नर्स और दो सफाईकर्मी तैनात हैं। यह सेंटर एक एनजीओ के माध्यम से संचालित है।
-बाहर तीन हजार का खर्च, यहां लगते हैं 570 रुपए

जिला अस्पताल में डायलिसिस सामान्य मरीजों के लिए नि:शुल्क नहीं है। उन्हें 570 रुपए की रसीद कटवानी पड़ती है। हालांकि निजी सेंटरों की तुलना में यह शुल्क ज्यादा नहीं है। शहर के निजी अस्पताल में इस जांच के तीन हजार रुपए लगते हैं।
वहीं, बात की जाए आयुष्मान कार्ड और बीपीएल कार्डधारियों की तो यहां पर इनकी नि:शुल्क डायलिसिस होती है।

डायलिसिस यूनिट में एक नजर

06 डायलिसिसि मशीनें हैं वर्किंग में।

03 तकनीशियन
02 स्टाफ नर्स

02 सफाईकर्मी

फैक्ट फाइल

-प्रतिदिन होती है 16 डायलिसिस

-इस महीने 330 मरीजों की हो रही डायलिसिस।

-एक मरीज को सप्ताह में दो से तीन बार पड़ती है जरूरत।
वर्शन

नेफ्रोलॉजिस्ट हमारे पास नहीं है। हालांकि दो डॉक्टरों ने ट्रेनिंग की है। वही किडनी रोगियों का इलाज कर रहे हैं।

डॉ. राजेश नामदेव, सिविल सर्जन दमोह

किडनी रोगियों की संख्या बढ़ रही है। इस वजह से तीन शिफ्ट पर डायलिसिस कराई जा रही है।
डॉ. सुरेंद्र विक्रम सिंह, प्रभारी डायलिसिस यूनिट

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