Bundelkhand culture and folk art will be seen on the stage
दमोह. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली व युवा नाट्य मंच द्वारा दिया जा रहा 30 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर अब अपने अंतिम सोपान पर है। यह पूरा प्रशिक्षण बुंदेली शैली, बोली व लोककलाओं पर केंद्रित रहा है। इसका मंचन 6 जनवरी को शाम 7 बजे से मानस भवन में किया जाएगा। रंगकर्मी राजीव अयाची ने बताया कि प्रदेश में पहलीबार दमोह में राष्ट्रीय नाट्य शिविर का आयोजन किया गया है। बुंदेलखंड शैली के साथ बुंदेलखंड के किसानों की दुर्दशा पर केंद्रित नाटक तैयार किया गया है। यह नाटक मुंशी प्रेमचंद की रचना गोदान से तैयार किया गया है, जिसका नाम रखा गया है नाटक होरी। इस नाटक का पूरा परिदृश्य बुंदेली संस्कृति, परिवेश व लोककलाओं पर केंद्रित है। इसमें खासबात यह है कि देश व प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से प्रशिक्षण लेने वाले प्रशिक्षुओं ने इन 30 दिनों में बुंदेली पर अच्छी पकड़ बनाई है। शहरवासियों के लिए यह नाटक विशेष होगा क्योंकि इस नाटक को केवल 30 दिन में बुंदेली जानने वाले युवा कलाकार प्रस्तुत करेंगे, जिनका पहले बुंदेली बोली से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। शिविर के निदेशक संजय श्रीवास्तव ने बताया कि यह फर्क की बात है कि हमारी बुंदेली के लिए एनएसडी ने महत्व दिया है। मंचन के दौरान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक के अलावा अन्य विशिष्ट रंगकर्मी भी शामिल हो रहे हैं। नाटक का मंचन प्रशिक्षणार्थियों के लिए फाइनल परीक्षा के समान है, जिसमें सभी ने विशेष रुचि लेकर मेहनत की है, जिससे इन सभी में एक अच्छा कलाकार बनने की दक्षता है। शहर के लोगों की तालियां ही इन कलाकारों को आगे बढ़ाने में सहायक होगी।
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