इसलिए नहीं पहुंचता पानी
दरअसल अंतिम छोर के किसानों को ये पानी इसलिए नहीं मिल पाता क्योंकि नहरों में बीच में दूसरे किसान बाधा (डाट) लग देते हैं। इससे अंतिम छोर का किसान परेशान रहता है। धान की फसल में भी ऐसा हो चुका है. रविवार को सुबह डी-16 नहर से पानी छोड़ा जाना बंद कर दिया गया है। जिससे डी-16 नहर वाले किसानों का भी पलेवा कार्य प्रभावित हो गया है। यहां बता दे कि दोनों नहरों में हरसी बांध से करीब 1 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। 10 नवंबर को हरसी बांध से गेहूं के पलेवा के लिए पानी छोड़ा गया। इस बार डी-16 व डी-17 नहर को पहले दिन से पानी मिलना शुरू हो गया था। जिससे किसानों ने पलेवा शुरू कर दिया।
दरअसल अंतिम छोर के किसानों को ये पानी इसलिए नहीं मिल पाता क्योंकि नहरों में बीच में दूसरे किसान बाधा (डाट) लग देते हैं। इससे अंतिम छोर का किसान परेशान रहता है। धान की फसल में भी ऐसा हो चुका है. रविवार को सुबह डी-16 नहर से पानी छोड़ा जाना बंद कर दिया गया है। जिससे डी-16 नहर वाले किसानों का भी पलेवा कार्य प्रभावित हो गया है। यहां बता दे कि दोनों नहरों में हरसी बांध से करीब 1 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। 10 नवंबर को हरसी बांध से गेहूं के पलेवा के लिए पानी छोड़ा गया। इस बार डी-16 व डी-17 नहर को पहले दिन से पानी मिलना शुरू हो गया था। जिससे किसानों ने पलेवा शुरू कर दिया।
इन गांवों में नहीं पहुंचा पानी
दोनों नहरों में पानी छोड़े 10 दिन होने जा रहे है लेकिन डी-16 नहर अंतर्गत आने वाले टेलपोर्सन गांव बृजपुर, सुल्तानपुर, सहराई, निभेरा, सरनागत, बड़ैरा आदि। डी- 17 नहर अंतर्गत आने वाले टेलपोर्सन गांव पिछोर, अजयगढ़, छपरा, पारी, जनकपुर, करई, खेरिया, धवा आदि करीब 22 गांव शामल है।
दोनों नहरों में पानी छोड़े 10 दिन होने जा रहे है लेकिन डी-16 नहर अंतर्गत आने वाले टेलपोर्सन गांव बृजपुर, सुल्तानपुर, सहराई, निभेरा, सरनागत, बड़ैरा आदि। डी- 17 नहर अंतर्गत आने वाले टेलपोर्सन गांव पिछोर, अजयगढ़, छपरा, पारी, जनकपुर, करई, खेरिया, धवा आदि करीब 22 गांव शामल है।
6 हजार से ज्यादा का लक्ष्य
इस बार गेहूं बोवनी का लक्ष्य 45 हजार हेक्टेयर में करने का दिया है। जबकि पिछले साल 2022 में 38400 हेक्टेयर में करने का लक्ष्य मिला था। लेकिन विभाग ने लक्ष्य की पूर्ति करते हुए 41577 हेक्टेयर में पैदावर की। जिस कारण विभाग ने लक्ष्य को बढ़ा दिया है।
इस बार गेहूं बोवनी का लक्ष्य 45 हजार हेक्टेयर में करने का दिया है। जबकि पिछले साल 2022 में 38400 हेक्टेयर में करने का लक्ष्य मिला था। लेकिन विभाग ने लक्ष्य की पूर्ति करते हुए 41577 हेक्टेयर में पैदावर की। जिस कारण विभाग ने लक्ष्य को बढ़ा दिया है।