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एक-दूसरे की जाति नहीं देखी थी
अमृता अपने पुराने दिनों को याद करते हुई कहती हैं कि मुझसे एक साल सीनियर थे। हम हमेशा से ही एक-दूसरे को पसंद करते थे। उस समय मैं नौवीं कक्षा में थी, जबकि प्रणय 10वीं कक्षा के छात्र थे। इस दौरान अपने पेट की ओर इशारा करते हुए कहती हैं कि यह बच्चा उनके प्यार की निशानी है। प्रणय को याद करती हुई वह कहती हैं कि ” आज वो न सही, लेकिन कम से कम मेरे पास मेरा बच्चा है। वह कहती हैं यह बच्चा प्रणय को मेरे पास रखेगा जैसे वह हमेशा था।” वह आगे कहती है कि हम हमारे बच्चे को एक जाति विहीन समाज में बड़ा करना चाहते थे। हम ने एक-दूसरे की जाति नहीं देखी थी। हमारे लिए तो बस यही काफी था कि हम एक-दूसरे को चाहते हैं।
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कमरे में बंद कर देती थी मां
अमृता कहती हैं कि “बचपन में दूसरी जाति के दोस्तों के साथ खेलने पर मेरी मां मुझे कमरे में बंद कर देती थी और कई-कई दिनों तक केवल कुछ अचार और चावल ही खाने को दिया जाता था। प्रणय से मिलने-जुलने के विरोध में मेरी बढ़ाई बंद करा दी गई थी। मेरे साथ मारपीट की जाती थी। वह कहती हैं, “मेरे पिता को हमारे संबंध से इसलिए समस्या थी क्योंकि प्रणय अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखता था”।