शहर के सिवांची गेट क्षेत्र में चतुर सागर तालाब के समीप बना प्राचीन दौलत स्नानघर दुर्दशा का शिकार हो चुका है।
इसका निर्माण 1942 में किया गया था। तब भामाशाह ने निर्माण करवा जनहित में सौंपा था।
स्नानघर में लगे नल चोरी हो चुके हैं। रखरखाव के अभाव में भवन जर्जर हो रहा है। कई सालों से इसकी देखरेख तक नहीं हुई है।
भैरवनाथ आध्यात्मिक एवं पर्यावरण परिषद के एसके बिस्सा ने बताया कि लगातार इस स्नानघर को बचाने के लिए संघर्ष किया जा रहा है।
जिला कलक्टर, संभागीय आयुक्त से लेकर जनप्रतिनिधियों को पत्र सौंपे गए हैं, लेकिन कोई इस पर ध्यान नहीं दे रहा।