कचरा डालने से नालियां हो रही हैं जाम, लोगों को बीमारी का खतरा
नगर पालिका मच्छरों पर नियंत्रण के लिए कर रही है खानापूर्ति
कचरा डालने से नालियां हो रही हैं जाम, लोगों को बीमारी का खतरा
मुंगेली. शहर की नालियों में गंदगी का आलम है। नगर के हर वार्ड में सफाई के लिए दिन निर्धारित है। मगर स्वच्छता बनाए रखने के प्रति असंवेदनशील नागरिक हर कहीं कचरा फैलाते ही रहते हैं। नगर में जगह-जगह कचरा रखने के कंटेनर रखे गए हैं। इसके बावजूद घर के पास के किसी दूसरे के घर के सामने या फिर सर्वसुलभ नाली को ही कंटेनर समझकर कचरा डाला जा रहा है। नगर में मच्छरों की भरमार है। यहां मलेरिया फैलाने वाले मच्छर अधिक पाए जाते हैं। शायद कोई माह हो, जिसमें मलेरिया से पीडि़त लोग अस्पताल पहुंचते हों। वहीं नगर पालिका प्रशासन मच्छरों पर नियंत्रण के लिए खानापूर्ति करना नजर आता है।
शहर की नालियों और कई स्थानों पर गंदगी पड़ी रहती है और नमी के चलते इन स्थानों पर मच्छर पनपते रहते हैं। गंदगी से सराबोर नालियों में मच्छर लार्वा छोड़ रहे हैं, जिससे शहर में मच्छर बढ़ रहे हैं। शहरवासी मच्छर के आतंक से हलाकान है, लेकिन साफ-सफाई रखने के प्रति कोई भी गंभीर नहीं है।
डेंगू का आतंक लोगों के सिर पर चढक़र बोल रहा है। मगर उसका खौफ अखबार पढक़र व्यवस्था के प्रति नाराजगी व्यक्त करने तक ही सीमित है। डेंगू के तो नगर में इक्का-दुक्का ही मरीज मिले। यहां के मलेरिया के मच्छर बहुतायत हैं, जिसके कारण शायद ही ऐसा कोई माह जाता हो जिसमें लोग मलेरिया से पीडि़त नहीं होते। हर माह कोई न कोई शहरवासी मलेरिया के शिकार हो रहे हैं। कुछ लोगों को खतरनाक मलेरिया भी हो गया है, जिससे जान का खतरा बन आया है।
नगर पालिका भी शहर में मच्छर पर नियंत्रण के लिए खानापूर्ति करने तक ही है। मच्छर भगाने के लिए फागिंग मशीन का एकाध बार कुछ दिनों तक उपयोग हुआ, मगर मच्छर हैं कि दिनोंदिन बढ़ते ही जा रहे हैं । अभी कुछ दिनों पूर्व हुई तेज बारिश से नगर की बजबजाई नालियां साफ हुई हैं। इससे ऐसा लगता था कि कुछ समय के लिए मच्छरों से राहत मिलेगी, लेकिन मच्छरों की पैदावार बढ़ रही है।
मच्छरों को काबू करने के लिए लोग प्राकृतिक इलाज भी करते हैं, साफ-सफाई करने के साथ-साथ आसपास जहां पानी या गंदगी को वहां फिनायल या आयल डालते हैं, जिससे लार्वा नहीं पनप पाते तथा शाम के समय मच्छरों के आक्रमण से बचने के लिए नारियल के बुच का धुआं या नीम की सूखी पत्ती का धुआं करते हैं। जब तक धुआं रहता है तब तक मच्छरों से बचे रहते हैं।
नहीं हो रहा डीडीटी का छिडक़ाव: पहले मलेरिया विभाग द्वारा डीडीटी का छिडक़ाव कभी कभी होता था तथा मेडिकेटेड मच्छर दानी का वितरण भी किया जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह भी देखने को नहीं आया। मच्छर के क्वायल, लिक्विड, मच्छर मार रेकेट के साथ तरह तरह की दवाइयां मच्छरों से निजात के लिए निकल गई है। मगर कुछ दवाइयां या क्वायल से लोगों को एलर्जी होती है, कहीं न कहीं स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। नगर के लोग इस समय मच्छर के मारे परेशान हैं। यह बात भी है कि मच्छर जहां गंदगी होती है, पानी का ठहराव होता है वहां पनपते हैं। विगत सालों में नगर में नालियों का निर्माण जिस ढंग से हुआ है, उनमें ढलान की कमी से नालियां बजबजाई रहती है। जो मच्छरों के पनपने के लिए आदर्श स्थल है। मच्छरों से बचाव के लिए जो साधन बाजार मे उपलब्ध हैं, वे महंगाई के जमाने मे आम आदमी का बजट बढ़ा रहे हैं। सरकार ने मलेरिया विभाग खत्म कर दिया है। इसलिए तो अब न डीडीटी का छिडक़ाव होता है न मेडिकेटेड मच्छरदानी बांटी जाती है।
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