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दरअसल, हाईकोर्ट के जस्टिस विनोद गोयल ओर जस्टिस मुरधीधर की बेंच ने अरुण चौहान की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें लॉअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ राहत की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि इस आपराधिक घटना में सारी कड़ियां एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। पूरा घटनाक्रम दोषी के पक्ष में कोई मजबूत आधार प्रस्तुत नहीं करता है, लिहाजा हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले में दखलअंदाजी से इनकार कर दिया। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अरुण चौहान को पत्नी का हत्या का दोषी पाया। आपको बता दें कि अरुण चौहान नाम के शख्स ने 15 नवंबर, 2014 को अपनी पत्नी की हत्या की घटना को अंजाम दिया था। इस मामले में कोर्ट ने सीडीआर और दो बच्चों की गवाही के आधार पर दोषी ठहराया था। बच्चों ने कोर्ट के गवाही देते हुए कहा था कि वारदात वाली रात पापा ने मम्मी की पिटाई को उनको दूसरे कमरे में जाने को कहा था।
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याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि दोनों बच्चों की गवाही को मजबूत आधार माना जा सकता है। बच्चे शुरू से लेकर अंत तक अपने बयान पर कायम रहे। हर बार पूछताछ में बच्चों ने एक ही बार दोहराई कि उनके पापा ने ही हत्या से पहले उनकी मम्मी की पिटाई की थी।