23 मार्च 1962 को बने कप्तान
टाइगर पटौदी 58 साल पहले आज ही के दिन 23 मार्च 1962 को कप्तान बने थे और कप्तान बनने के साथ ही उन्होंने एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया, जो आज तक भारतीय क्रिकेट के इतिहास में बरकरार है। कई वर्षों तक तो विश्व क्रिकेट में भी कोई इस रिकॉर्ड को चुनौती नहीं दे सका। वह विश्व क्रिकेट के सबसे युवा कप्तान बने थे। उन्होंने 21 साल 77 दिन की उम्र में टीम इंडिया की कप्तानी संभाल ली थी। विश्व क्रिकेट में यह रिकॉर्ड 42 साल तक कायम रहा। 2004 में जिम्बाब्वे के टाटेंडा टाइबू ने इस रिकॉर्ड को तोड़ा। उन्होंने अपने देश की कप्तानी 20 साल 358 दिन में संभाली। उनके इस रिकॉर्ड को 15 साल बाद 2019 में अफगानिस्तान के स्टार लेग स्पिनर राशिद खान ने तोड़ा। वह 20 साल 350 दिन में अपने देश की टीम के कप्तान बने। फिलहाल सबसे युवा कप्तान का ताज उन्हीं के सिर है, लेकिन सबसे युवा भारतीय कप्तान का रिकॉर्ड आज भी पटौदी के नाम है।
नवाब पटौदी ने अपना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर 1961 में इंग्लैंड के खिलाफ नई दिल्ली में शुरू किया। इसके अगले साल 1962 में टीम इंडिया नारी कॉन्ट्रैक्टर के नेतृत्व में विंडीज के दौरे पर गई थी। उपकप्तान टाइगर पटौदी थे। यह उस दौर की बात है, जब विंडीज के तेज गेंदबाज काफी खौफनाक माने जाते थे। इस सीरीज के पहले दो टेस्ट में कॉन्ट्रैक्टर ही कप्तान थे। इन दोनों टेस्ट में भारत को बुरी तरह से हार मिली। तीसरा टेस्ट शुरू होने से पहले भारत को एक अभ्यास मैच खेलना था। इस मैच में विंडीज के तेज गेंदबाज चार्ली ग्रिफिथ की एक गेंद कॉन्ट्रैक्टर के सिर पर लगी। यह चोट इतनी खतरनाक थी कि उनकी दो सर्जरी कराइ्र गई। बहुत मुश्किल से उनकी जान बचाया जा सका था, लेकिन उनका क्रिकेट करियर जरूर असमय खत्म हो गया। इसके बाद सीरीज के बाकी बचे मैच के लिए कमान टाइगर को सौंप दी गई। दौरे का तीसरा और बतौर कप्तान टाइगर का यह पहला टेस्ट 23 मार्च से ब्रिजटाउन (बारबाडोस) में खेला गया। यह पटौदी का सिर्फ चौथा टेस्ट मैच था। हालांकि इस सीरीज के बाकी बचे दोनों टेस्ट में भारत को हार मिली, लेकिन यहीं से पटौदी युग की शुरुआत हो गई। इसके बाद 1973 में तीन टेस्ट मैच को छोड़ दिया जाए तो वह अंत तक बतौर कप्तान ही खेले। अपना आखिरी मैच भी उन्होंने बतौर कप्तान ही खेला।
ऐसा रहा कप्तानी करियर
टाइगर पटौदी को एक ऐसी टीम की कप्तानी मिली थी, जो जीतना नहीं जानती थी। उन्होंने अपनी आक्रमक कप्तानी के बल पर टीम को जीतना सिखाया। हालांकि टीम कमजोर होने के कारण उनके कप्तानी का रिकॉर्ड आपको साधारण लगेगा, लेकिन वह काफी चतुर कप्तान माने जाते थे। उन्होनें कुल 46 टेस्ट खेले। इनमें से 40 मैचों में टीम की कप्तानी और नौ मैच जीते तथा 19 में हार का सामना करना पड़ा, जबकि 19 मैच ड्रॉ रहे। सबसे कमाल की बात तो यह है कि उस दौर में उन्होंने जिस तरह से टीम इंडिया को संभाला, वह कमाल का था। अपनी आक्रमक नजरिये के कारण जबरदस्त लोकप्रिय भी हुए। माना जाता है कि सौरव गांगुली की कप्तानी में उन्हीं की झलक मिलती है।
नवाब पटौदी शानदार बल्लेबाज थे। उन्होंने 46 टेस्ट की 83 पारियों में छह शतक की मदद से कुल 2793 रन बनाए। इसके अलावा एक दोहरा शतक और 16 अर्धशतक भी लगाए। उनकी बल्लेबाजी का औसत 34.91 था। नवाब पटौदी का यह बल्लेबाजी रिकॉर्ड इसलिए भी शानदार है कि एक रोड एक्सीडेंट में उन्होंने अपनी एक आंख गंवा दी थी, इसके बावजूद एक आंख से उन्होंने कई शानदार पारियां खेली और शतक भी लगाया। लेकिन इसका थोड़ा असर उनकी बल्लेबाजी का औसत पर जरूर पड़ा था।