आईसीसी के ‘हॉल ऑफ फेम’ में जगह पाने वाले 7वें भारतीय खिलाड़ी
भारत के दिग्गज क्रिकेटर वीनू मांकड का निधन 61 साल की उम्र में 21 अगस्त 1978 को हुआ था। बतौर ऑलराउंडर टीम इंडिया के साथ जुड़ने वाले वीनू ने इंग्लैंड के खिलाफ 22 जून 1946 को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था। वह एक तरफ वह बल्ले से विरोधी गेंदबाजों की जमकर धुनाई करते थे तो गेंद से भी धाकड़ बल्लेबाजों को छकाने का माद्दा रखते थे। उनका नाम विश्व के श्रेष्ठ ऑलराउंडरों में गिना जाता है। साथ ही वीनू मांकड उन चंद नामों में शामिल हैं, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में पहले से लेकर 11वें नंबर तक बल्लेबाजी की थी। बचपन से ही क्रिकेट के शौकीन वीनू आईसीसी के ‘हॉल ऑफ फेम’ में जगह पाने वाले 7वें भारतीय खिलाड़ी हैं।
भारतीय टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले बल्लेबाज
1952 में भारत ने जब पहली बार टेस्ट जीता तो उस मैच के हीरो वीनू मांकड ही थे। उन्होंने मैच में कुल 12 विकेट लिए थे। इसके बाद सन 1956 में पंकज राय के साथ मिलकर वीनू ने 413 रन की ओपनिंग साझेदारी की थी। यह रिकॉर्ड 52 साल बाद टूटा। वीनू ने इस साझेदारी के दौरान अपने करियर का पहला दोहरा शतक (231) लगाया था। वह भारतीय टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले बल्लेबाज थे। इस रिकॉर्ड को 27 साल बाद 1983 में सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 236 रन बनाकर तोड़ा। वैसे तो वीनू मांकड के नाम और भी कई रिकॉर्ड हैं, लेकिन सबसे दिलचस्प किस्सा ‘मांकडिंग’ से जुड़ा है।
वीनू ने ही की ‘मांकडिंग’ की शुरुआत
क्रिकेट इतिहास में वीनू ने ही ‘मांकडिंग’ की शुरुआत की थी। दिसंबर 1947 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई टीम इंडिया का यह किस्सा बहुत मशहूर है। हुआ यूं कि ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सिडनी टेस्ट में भारतीय गेंदबाज वीनू मांकड ने विपक्षी बल्लेबाज को कुछ ऐसे आउट किया कि सब दंग रह गए। तब मांकड गेंदबाजी कर रहे थे और कंगारू बल्लेबाज बिल ब्राउन गेंद डाले जाने के पूर्व ही रन लेने की जल्दबाजी में क्रीज छोड़ चुके थे। मांकड ने बल्लेबाज की इस गलती का फायदा उठाते हुए गेंद फेंके बिना नॉन स्ट्राइकिंग छोर की गिल्लियां बिखेर दीं। वीनू मांकड के नाम पर बना ‘मांकडिंग’ नियम
मांकड ने गिल्ली उड़ाते ही रन आउट की अपील की और अंपायर ने उंगली उठा दी। हालांकि मांकड द्वारा किए गए इस आउट को ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने खेल भावना के विरुद्ध बताते हुए वीनू की खूब आलोचना की थी, लेकिन दिग्गज बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन समेत कुछ विपक्षी खिलाड़ियों ने मांकड का बचाव किया था। बाद में आउट करने का यह तरीका क्रिकेट के नियमों में शामिल हो गया और इसका नाम ‘मांकड आउट’ पड़ गया। क्रिकेट नियमों की धारा 42.15 के अंतर्गत आउट करने के इस तरीके को वैधानिक कर दिया गया। मॉडर्न क्रिकेट में इस नियम को ‘मांकडिंग’ कहा जाता है।
वीनू मांकड का क्रिकेट करियर
वीनू मांकड ने भारत के लिए 44 टेस्ट मैचों में 31.47 की औसत से 2,109 रन बनाए थे। इस दौरान उनके बल्ले से 2 दोहरे शतक, 5 शतक और 6 अर्धशतक निकले। साथ ही उन्होंने गेंद से भी असाधारण प्रदर्शन करते हुए 162 विकेट चटकाए थे। इसके अतिरिक्त इन्होंने 233 प्रथम श्रेणी मैचों में 34.70 की औसत से 26 शतक और 52 अर्धशतक सहित 11,591 रन और गेंदबाजी में 24.53 के शानदार औसत से 782 विकेट भी लिए थे।