रिपोर्टर ने द्रविड़ को 1997 में खेले गए एक टेस्ट मैच की याद दिलाई। जिसमें भारत को वेस्टइंडीज के हाथों बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। रिपोर्टर ने कहा, ‘राहुल, एक खिलाड़ी के तौर पर आपने यहां खेला है। 97 टेस्ट की सबसे अच्छी यादें नहीं?’ इसपर द्रविड़ ने कहा, ‘वाह, बहुत-बहुत धन्यवाद दोस्त ! यहां मेरी कुछ अच्छी यादें भी हैं।’ इसपर रिपोर्टर ने कहा, ‘मैं वही कह रहा हूं कि आपके पास कल नई और बेहतर यादें बनाने का मौका है?’
इसपर द्रविड़ ने कहा, ‘मैं कुछ भी नया बनाने की कोशिश नहीं कर रहा हूं यार! मैं चीजों से बहुत जल्दी आगे निकल जाता हूं। यह मेरी खासियतों में से एक है। मैं चीजों को पीछे मुड़कर नहीं देखता। मैं कोशिश करता हूं और देखता हूं कि मैं अभी क्या कर रहा हूं। मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि 97 या किसी और साल में क्या हुआ था। यह जीत कर आप जानते हैं। अगर आपने मुझसे कहा होता कि इसे जीतने से हम 80 के आस-पास स्कोर नहीं बनाते और 121 स्कोर बनाते, तो मुझे परेशानी होती। लेकिन, अगर हम कल यह मैच जीत भी जाते, तो दुर्भाग्य से, स्कोरकार्ड पर यह 80 ही रहेगा, चाहे मैं कितनी भी कोशिश करूं। नहीं, मैं किसी प्रतिशोध के बारे में नहीं सोचता। मैं चीजों से आगे बढ़ जाता हूं।’
बता दें 1997 में खेले गए उस टेस्ट मैच में 121 रनों का पीछा करते हुए भारत 81 रनों पर आउट हो गया था। द्रविड़ ने पहली पारी में 78 रन बनाए थे जबकि तेंदुलकर ने 92 रनों की पारी खेली थी। भारत ने 319 रन बनाकर पहली पारी में बढ़त हासिल की थी। अबे कुरुविला ने पांच विकेट हासिल कर भारत को जीतने का शानदार मौका दिया था। वेस्टइंडीज दूसरी पारी में 140 रनों पर आउट हो गया था। हालांकि, आखिरी पारी में भारतीय टीम 81 रनों पर आउट हो गई थी।