scriptकौन है ‘रघु’ जिसने टी20 वर्ल्ड कप में बदल दी टीम इंडिया की किस्मत, कभी कब्रिस्तान और बस अड्डे पर सोने को थे मजबूर | Raghvendra Raghu who helped Indian cricket team in T20 world cup 2024 Virat kohli Rohit Sharma | Patrika News
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कौन है ‘रघु’ जिसने टी20 वर्ल्ड कप में बदल दी टीम इंडिया की किस्मत, कभी कब्रिस्तान और बस अड्डे पर सोने को थे मजबूर

भारतीय बल्लेबाज तेज गेंदबाजों के खिलाफ अचानक बेखौफ नहीं हुए हैं। बल्कि इसके पीछे एक शख्स कि सालों की मेहनत है। अब आप सोच रहे होंगे कि यह शख्स है कौन? ये कोई और नहीं टीम को थ्रोडाउन कराने वाले डी राघवेंद्र हैं। जिन्हें इंडियन प्लेयर्स प्यार से रघु बुलाते है।

नई दिल्लीJul 03, 2024 / 09:14 pm

Siddharth Rai

Raghvendra Raghu, Indian cricket team: टी20 वर्ल्ड कप 2024 में भारतीय टीम के साथ अपने माथे पर कुमकुम लगाए हुए एक शख्स को कई बार देखा होगा। यह आदमी कोई आम इंसान नहीं है। बल्कि विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसा खिलाड़ी इनको अपनी कामयाबी की वजह बताता है। इस वर्ल्ड कप में जब कप्तान रोहित ने ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज पेट कमिंस को घुटने पर बैठ कर स्टेडियम की छत पर छक्का मारा तो उनका यह कॉन्फिडेंस देख हर कोई दंग रह गया।

भारतीय बल्लेबाज तेज गेंदबाजों के खिलाफ अचानक बेखौफ नहीं हुए हैं। बल्कि इसके पीछे एक शख्स कि सालों की मेहनत है। अब आप सोच रहे होंगे कि यह शख्स है कौन? ये कोई और नहीं टीम को थ्रोडाउन कराने वाले डी राघवेंद्र हैं। जिन्हें इंडियन प्लेयर्स प्यार से रघु बुलाते है।

रोहित का कमिंस की गेंद पर छक्का हो या ऋषभ पंत का जेम्स एंडरसन जैसे दिग्गज गेंदबाज के खिलाफ रिवर्स स्वीप। इन सभी के पीछे रघु का हाथ है। कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ा जिले से आने वाले रघु करोड़ों भारतीयों की तरह एक क्रिकेटर बनना चाहते थे। लेकिन हर पिता की तरह उनके पिता को भी लगता था कि क्रिकेट समय कि बर्बादी है।

पिता की असहमति के बावजूद वह क्रिकेट से दूर नहीं रह पाते थे। पिता शिक्षक थे और और वह राघवेंद्र के क्रिकेट के इस जुनून को समझ नहीं पाए। ऐसे में एक दिन राघवेंद्र ने अपना घर और स्कूल दोनों छोड़ दिया। एक बैग में कपड़े और जेब में 21 रुपए लेकर रघु घर से निकल गए।

मुंबई आकर राघवेंद्र के पास ठहरने की भी जगह नहीं थी। कभी मंदिर के बाहर सोकर रात गुजारी तो कब्रिस्तान में नींद पूरी की। एक हफ्ते हुबली के बस स्टैंड पर सोए, वहां से जब पोलिस ने भगाना शुरू किया, तो रघु भाग कर एक मंदिर में रहने लगे पर वहा भी ज्यादा दिन ठिकाना बना नहीं। फिर वहा से निकलकर उन्होंने एक शमशान में अपना ठिकाना बनाया और वही साढ़े चार साल तक एक टूटे कमरे में रहते रहे।

भूखे पेट रघु ने क्रिकेटर बनाने का सपना देखा। भूख तो उनका सपना नहीं तोड़ पाई लेकिन उनका दायां हाथ टूट गया और इसी के साथ रघु के क्रिकेटर बनाने का सपना भी टूट गया। लेकिन बावजूद इसके उनका हौसला नहीं टूटा और वे घर वापस नहीं गए। हुबली में ही वो दूसरे क्रिकेटर्स को बोलिंग प्रैक्टिस कराने लगे, फिर एक दोस्त के कहने पर बेंगलुरू गए।

बेंगलुरू में कर्नाटक क्रिकेट इंस्टीट्यूट में दूसरे क्रिकेटर्स को प्रैक्टिस कराते हुए वे पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ से मिले। श्रीनाथ ने उन्हें कर्नाटक रणजी टीम का हिस्सा बनया और फिर नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA) में बिना किसी तनख्वाह के तीन चार साल काम करते रहे। एनसीए में ही उन्होंने कोचिंग का कोर्स पूरा किया और वहां आने वाले इंडियन क्रिकेटर को प्रैक्टिस कराने लगे।

तभी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की नज़र उन पर पड़ी। सचिन को समझ आया कि प्रैक्टिस कराना रघु के लिए काम नहीं बल्कि जुनून है। वहां से 2011 में वो भारतीय क्रिकेट के स्टाफ का हिस्सा बन गए। उसी दौरान रोबो आर्म नाम का एक इक्विपमेंट से क्रिकेटर्स प्रैक्टिस करते थे, रघु ने इस रोबो आर्म से गेंद फेंकते में महारत हासिल की। धीरे धीरे रघु की एक्यूरेसी इतनी सटीक होती चली गई कि वे 155 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गेंद फेंकने लगे।

रघु ही वो वजह है जिनकी 145 से 155 की रफ्तार वाली गेंदों पर प्रैक्टिस करके भारतीय खिलाड़ियों को मैच में 135 से 145 की स्पीड वाले गेंदबाज मीडियम पेसर लगते है। रघु दुनिया के अकेले साइड आर्म बॉलर नहीं है, पर रघु दुनिया के सबसे पैशनेट और एक्यूरेट साइड आर्म बॉलर बन चुके है।

क्या होता है थ्रोडाउन
थ्रोडाउन का मतलब होता है कि नेट्स पर बल्लेबाजों को प्रैक्टिस कराना। राघवेंद्र भारतीय टीम के हर खिलाड़ी को नेट्स के दौरान पिच की लंबाई की आधी दूरी से फास्ट बॉलिंग फेस करने की गजब की प्रैक्टिस कराते हैं। इससे हर खिलाड़ी को उछाल वाली गेंद का अभ्यास होता है। इसे ही थ्रोडाउन कहा जाता है।

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