इन चुनावों में अपने नारे ‘अब नहीं बदलेगा तो कभी नहीं बदलेगा’ के साथ कीर्ती आज़ाद तत्काल प्रभाव से डीडीसीए की फंक्शनिंग में बदलाव लाना चाहते हैं। उनका उद्देश्य भारतीय क्रिकेट और खिलाड़ियों के छवि में ‘सम्मानजनक’ बदलाव लाना है। एसोसिएशन के सदस्यों में उन्हें दी जाने वाली सुविधाओं के प्रति गर्व की भावना उत्पन्न करना है। कीर्ति आज़ाद ने कहा, डीडीसीए के सदस्यों को लम्बे समय से उचित दर्जे से वंचित रखा गया है। एसोसिएशन को मिलने वाले अनुदान का गलत प्रबन्धन किया गया है। खातों की सही ऑडिटिंग नहीं हो रही हैं, एसोसिएशन के सदस्यों को उन सुविधाओं से वंचित रखा गया है, जिनके वे हकदार हैं। सबसे बड़ी बात, रोहन जेटली के नेतृत्व में डीडीसीए स्टेडियम को अपग्रेड करने में नाकाम रहा है, जैसा कि वादा किया गया था।
कीर्ति ने पूछे कई तीखे सवाल
कीर्ति आज़ाद-संजय भारद्वार के पैनल ने मौजूदा डीडीसीए पैनल पर फंड्स के गलत प्रबन्धन, अपनी पसंद के सदस्यों में टिकट वितरण, जमीनी स्तर पर विकास की अनदेखी और सदस्यों की सहभागिता की कमी पर सवाल उठाए। कीर्ति आज़ाद की अध्यक्षता डीडीसीए में पारदर्शिता और सुधार का स्पष्ट आह्वान है, जो क्रिकेट संस्थानों को चरम पर पहुंचाने का वादा करता है। वहीं सचिव पद के उम्मीदवार संजय भारद्वाज ने भी कीर्ति आज़ाद का पक्ष लिया। 1986 से 1989 के बीच उन्होंने रणजी ट्रॉफी में दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया और कीर्ति आज़ाद, मदन लाल, मोहिन्दर अमरनाथ, सुरिंदर खन्ना, रमन लाम्बा, संजय भारद्वाज जैसे दिग्गजों के साथ खेल चुके हैं। 2018 में वे डीडीसीए राजनीति में कदम रखा और क्रिकेट में सुधार लाने की सोच के साथ आदर्श उम्मीदवार बन गए। वे डीडीसीए में भ्रष्टाचार के खिलाफ भूख हड़ताल करने वाले पहले व्यक्ति थे। जिन्होंने सदस्यों के लिए बेहतर सुविधाओं और पारदर्शिता के लिए लड़ाई शुरू की।