आचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि आत्मा की दुर्गति से जो रक्षा करे वही धर्म है। धर्म के आचरण से ही जीवात्मा के परिभ्रमण सद्गति व परंपरा से मुक्ति मिलती है।
कोयंबटूर•Oct 08, 2019 / 02:24 pm•
Dilip
ऊंचे लक्ष्य के साथ साधना व ध्यान से आत्मा का विकास
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