READ: चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ के गृह क्षेत्र चूरू में 23 प्रसूताओं की इस वजह से हो गई मौत इस पुस्तक का विमोचन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, आरएसएस के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह करेंगे। डा.शर्मा तीन साल से इस पुस्तक पर काम कर रहे थे। इस पुस्तक में दीनदयाल की जीवनी, उनके संघर्ष, उनके किए कार्य और एकात्म मानववाद आदि का उल्लेख किया गया है।
साढ़े पांच हजार पृष्ठ की इस पुस्तक में कुल 15 खण्ड हैं। डॉ शर्मा के अनुसार दीनदयाल शोध संस्थान (डीआरआई) का एकात्म मानव दर्शन और मेरा लंबे समय से पोषित सपना रहा है। वर्ष1999 में एकात्म मानव प्रतिष्ठान की स्थापना हुई। इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया।
इस पर 15 संस्करण प्रस्तुत किए। उनका फोकस केवल दीनदयाल के कार्यों पर रहा। प्रत्येक संस्करण पं.दीनदयाल उपाध्याय के जीवन से जुड़े व्यक्तित्व को समर्पित है। शर्मा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर काम करने में कई परेशानियां आई।
दीनदयाल ने दैनिक स्वदेश के साथ पांचजन्य राष्ट्र धर्म का भी प्रकाशन शुरू किया लेकिन दैनिक स्वदेश की प्रतियां नहीं मिली। हिमालय और उत्कृष पत्रिकाओं की प्रकाशित प्रति भी नहीं मिली। वे नागपुर में उनके कुछ भाषणों का अंश लेने गए लेकिन वहां भी भाषण नहीं मिला।
READ: इसे कहते हैं मजबूरी का नाम महात्मा गांधी, तभी तो सीकर में यहां पेड़ के नीचे चलता है डाकघर नानाजी देशमुख से उपाध्याय के नजदीक के लोगों के पते लेकर उनसे मिले और उनके बारे में सामग्री एकत्रित की। वर्ष 1970 में कार्य शुरू करते तो आज कम से कम उनके तीस संस्करण प्रकाशित हो जाते। प.दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि सब कुछ समाज को करना है।
अजब-गजब : सीकर जिले की इस रामलीला में काम करो और लगो सरकारी नौकरी एकात्म मानववाद इस पर बल नहीं देता की सबकुछ सरकार करे। समाज सरकार से मजबूत है। इसलिए वे समाज को संबोधित करते थे। उन्होंने बताया कि दीनदयाल के पूरे कार्य निर्णायक कदम हैं।