फुटेज में नकाब लगाए चोरों के कई एंगल से फुटेज मिले और उनकी आंखें नजर आ रही थीं। तमाम फुटेज को फेस रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर से 100 से अधिक चेहरे निकाले गए, जिसमें दोनों चोरों के चेहरों से मिलती-जुलती फोटो बन पाईं। इसके बाद चोरों की पहचान की गई और गिरोह के तीन लोगों को गिरफ्तार किया। अभी दो चोर फरार हैं। एसपी ने बताया कि नकाब लगाए चोरों को पकड़ने की पूरी तकनीक का खुलासा नहीं कर सकते। एआइ तकनीक चोरों को पकड़ने में मददगार साबित हुई है। आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उनकी गैंग ने राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में चोरी की वारदातों को अंजाम दिया है।
दिल्ली की प्लेट हटा राजस्थान नंबर की लगाई
चोरों ने वारदात में उपयोग दिल्ली की कार पर
राजस्थान नंबर की प्लेट लगा दी। चोर कच्चे रास्तों का उपयोग करते हुए वारदात करने आए और वापस भाग गए। टोल नाका का उपयोग भी नहीं करते थे। गैंग में शामिल चार आरोपी उत्तर प्रदेश के और एक राजस्थान निवासी है। आरोपी ज्वैलरी शोरूम से 17 लाख रुपए नकदी, 1.5 किलो सोना और 2 क्विंटल चांदी के बर्तन चुरा ले गए थे।
सैकड़ों फुटेज जोड़कर पुलिस पहुंची चोरों तक
पुलिस के पास चोरों के फुटेज तो हाथ लग गए, लेकिन किसी भी फुटेज में एक भी चोर का चेहरा नहीं दिख पा रहा था। ऐसे में पुलिस ने एसओजी, जयपुर और दूसरे राज्यों की पुलिस की मदद ली। पुलिस ने एआइ की एलपीएल तकनीक से फुटेज में आई आंखों से चोरों के चेहरे की तस्वीर निकाली। साथ ही कार के अलग-अलग एंगल के फुटेज जोड़कर एआई के माध्यम से गाड़ी के असली नंबर का पता किया।