हर बोरी पर घाटा मंडी में कारोबार नहीं होने से अपनी कृषि पैदावार बेचने के लिए किसानों को बाजार में आना पड़ता है। यहां व्यापारी मौल-भाव कर कम कीमत पर उपज खरीद लेते हैं। मंडी में कारोबार हो तो एक ही जगह अनेक दुकानदार मिलने से किसानों को उनकी उपज का सही मोल मिल सकता है। ऐसे में गरीब किसानों को हर बोरी पर घाटा उठाना पड़ रहा है। चुनावों के समय किसानों से अनेक प्रकार के वादे करने वाले भी अब किसानों की पीड़ा नहीं समझ रहे।
ऑन लाइन व्यापार का नहीं मिल रहा लाभ कृषि उपज मंडी में लगे डिस्पले बोर्ड पर दिनभर राज्यभर की मंडियों में बिक रहे अनाज के भाव भाव ऑनलाइन चलते हैं। जिससे किसान उस भाव पर अपनी उपज बेच सकते हैं। मगर यहां कारोबार नहीं होने से किसानों का आवागमन नहीं होता। ऐसे में उन्हें अपनी उपज बाजार में थोक व्यापारियों के बताए भाव पर बेचनी पड़ती है।
ये है जनता की परेशानी शहर के उत्तराधा बाजार, मोचीवाड़ा, सुभाष चौक, मंडी चौराहा सहित अन्य स्थानों पर अनाज आदि की थोक की दुकानें होने से यहां बड़े वाहनों का आवागमन रहता है। जिससे बाजार में कई बार जाम लगने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
58 में से 56 दुकानें आवंटित आज से 29 वर्ष पहले सन 1987 में शुरू हुई शहर की डी ग्रेड मंडी में 58 छोटी-बड़ी दुकानें बनाई गई थी। जिनमें से 56 दुकानें व्यापारियों को व्यापार करने के लिए आवंटित की गई थी। मगर आज हालात ये है कि यहां एक भी दुकान पर नियमित रूप से व्यापार नहीं हो रहा है।
अधिकारी कर रहे बचाव मंडी में कारोबार शुरू करने के लिए थोक व्यापारियों को कई बार नोटिस दिए गए हैं। बैठक लेकर समझाईस भी की गई। मगर कोई आने को तैयार नहीं है। जिला प्रशासन का सहयोग लेकर दुबारा प्रयास किए जाएंगे।
-दीपेंद्र कुमार, सचिव कृषि उपज मंडी, चूरू