bell-icon-header
चित्तौड़गढ़

Rajasthan Politics: टिकट कटा तो बागी बनकर लड़े और महारथियों को पछाड़ बने विधायक

Rajasthan Politics: लगातार दो बार से विधायक, दोनों बार जीत का अंतर बढ़ाया। इसके बावजूद भाजपा ने टिकट काटा तो चन्द्रभान सिंह आक्या ने बगावत का झंडा बुलंद किया। लोगों को भी अचम्भा हुआ कि ऐसा क्या हुआ कि पार्टी ने जिताऊ प्रत्याशी का ही टिकट काट दिया। टिकट कटने के साथ ही आक्या ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।

चित्तौड़गढ़Dec 08, 2023 / 08:37 am

Rakesh Mishra

नितिन भाल। लगातार दो बार से विधायक, दोनों बार जीत का अंतर बढ़ाया। इसके बावजूद भाजपा ने टिकट काटा तो चन्द्रभान सिंह आक्या (Chandrabhan Singh Akya) ने बगावत का झंडा बुलंद किया। लोगों को भी अचम्भा हुआ कि ऐसा क्या हुआ कि पार्टी ने जिताऊ प्रत्याशी का ही टिकट काट दिया। टिकट कटने के साथ ही आक्या ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। अब गेंद पार्टी के पाले में थी। पार्टी चाहती तो आक्या को मनाती या टिकट पर कोई फैसला करती, लेकिन पार्टी ने कद्दावर नेता नरपत सिंह राजवी को टिकट थमा दिया। अब आक्या के सामने दो ही रास्ते थे या तो पार्टी का फैसला मान चुप बैठ जाते या जनता की अदालत में जाकर पार्टी के फैसले को गलत साबित करते। आक्या ने दूसरा रास्ता चुना। जनता के बीच गए और लोगों को अपना दर्द बताया। जनता की सहानुभूति मिलती गई और कारवां बढ़ता गया।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने नहीं छोड़ा साथ
आक्या के साथ मजबूत पक्ष यह रहा कि भाजपा के अधिकतर कार्यकर्ताओं ने उनका साथ नहीं छोड़ा। आक्या के समर्थन में कुछ पदाधिकारियों ने इस्तीफे भी दिए। पार्टी पदाधिकारियों को छोड़ अधिकतर कार्यकर्ता आक्या के साथ रहे। इन्हीं के दम पर उन्होंने जीत की इबारत लिखी।
हर वर्ग को लिया साथ
टिकट कटने के साथ ही आक्या ने चुनावी रणनीति पर काम शुरू कर दिया। उन्होंने हर वर्ग के साथ बैठकें की। फिर चाहे महिलाएं, पेंशनर्स हों या फिर विभिन्न समाज सभी के साथ आक्या ने बैठक की और अपना दावा मजबूत किया। आक्या दस साल से विधायक थे। दो बार चुनाव लड़ने और जीतने का अनुभव उनके काम आया। आक्या ने बूथवार रणनीति बनाई। पुरानी टीम के ज्यादातर लोगों ने आक्या का साथ दिया। आक्या के कदम जीत की ओर बढ़ते चले गए।
टक्कर में थे दोनों प्रत्याशी
चुनाव में आक्या का सामना कांग्रेस के सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत और भाजपा के नरपत सिंह राजवी से था। जाड़ावत को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था। वे दो बार चित्तौडग़ढ़ से विधायक भी रह चुके थे, वहीं राजवी भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके थे। पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत का परिजन होने का गर्व भी उनके साथ था। इसके बावजूद आक्या ने जनता को साथ ले निर्दलीय के रूप में दोनों महारथियों को पछाड़ जीत हासिल की।
यह भी पढ़ें

Rajasthan Cm Face: कौन बनेगा मुख्यमंत्री? राजस्थान में आज हो सकता है ये बड़ा फैसला

राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिले विधायक आक्या
भाजपा से बागी होकर चित्तौडग़ढ़ विधानसभा सीट से विधायक बने चंद्रभान सिंह आक्या लगातार भाजपा नेताओं के सम्पर्क में है। वे गुरुवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मिले। इससे पहले वे भाजपा के वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश माथुर से भी मिले। आक्या की जगह पार्टी ने पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी को टिकट दिया था। इसके बाद आक्या बागी हो गए और चुनाव लड़े। आक्या विधायक बन गए, जबकि राजवी की जमानत जब्त हो गई।
यह भी पढ़ें

Rajasthan New CM Race : वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह के कहने पर विधायकों की बाड़ाबंदी! जानें सीएम चयन के बीच BJP में क्यों मची खलबली?

Hindi News / Chittorgarh / Rajasthan Politics: टिकट कटा तो बागी बनकर लड़े और महारथियों को पछाड़ बने विधायक

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.