बजट की कमी नहीं इच्छा शक्ति का अभाव
रेलवे से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आपके पास बजट है तो रिटर्निंग वॉल बनाने में अधिकतम समय 20 से 25 दिन लगते हैं। गेज कन्वर्जन विभाग दो माह बीतने के बाद भी यह कार्य पूरा नहीं कर पाया। रेलवे के पास छिंदवाड़ा-नागपुर रेल परियोजना में बजट प्रर्याप्त है। इच्छाशक्ति न होन ेके कारण ही कार्य की गति धीमे है।
रेलवे से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आपके पास बजट है तो रिटर्निंग वॉल बनाने में अधिकतम समय 20 से 25 दिन लगते हैं। गेज कन्वर्जन विभाग दो माह बीतने के बाद भी यह कार्य पूरा नहीं कर पाया। रेलवे के पास छिंदवाड़ा-नागपुर रेल परियोजना में बजट प्रर्याप्त है। इच्छाशक्ति न होन ेके कारण ही कार्य की गति धीमे है।
मुख्यमंत्री की डेडलाइन भी बीते माह हो चुकी है खत्म
अक्टूबर 2019 में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छिंदवाड़ा आगमन के दौरान रेलवे अधिकारियों के साथ बैठक की थी। रेल परियोजना के संबंध में चर्चा कर दिसंबर माह में छिंदवाड़ा से नागपुर कार्य पूरा करने को कहा था।
अक्टूबर 2019 में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छिंदवाड़ा आगमन के दौरान रेलवे अधिकारियों के साथ बैठक की थी। रेल परियोजना के संबंध में चर्चा कर दिसंबर माह में छिंदवाड़ा से नागपुर कार्य पूरा करने को कहा था।
ग्यारह माह से नजरें घाट सेक्शन में गेज कन्वर्जन विभाग द्वारा छिंदवाड़ा से नागपुर कुल लगभग 149 किमी रेल परियोजना को चार खंडों में पूरा किया गया है। तीसरे खंड केलोद से भिमालगोंदी तक बनाई गई बड़ी रेललाइन का निरीक्षण सीआरएस ने 17 मार्च 2019 को किया था। इसके बाद गेज कन्वर्जन विभाग छिंदवाड़ा से नागपुर रेल परियोजना का चौथा और अंतिम खंड भंडारकुंड से भिमालगोंदी कुल 20 किमी घाट सेक्शन के कार्य को पूरा करने में जुट गया। इसके बावजूद लगभग 11 माह बाद भी कार्य पूरा नहीं हो पाया। रेलवे की लेटलतीफी की वजह से लोगों के सब्र का बांध भी टूटता जा रहा है।
घाट सेक्शन को सर्टिफाइड करना भी नहीं आसान
रेलवे से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि भंडारकुंड से भिमालगोंदी घाट सेक्शन में रेलमार्ग का कार्य पूरा भी हो गया तो यह जरूरी नहीं कि सीआरएस रेलमार्ग को सर्टिफाइड कर देंगे। सुरक्षा के लिहाज से सीआरएस को हर बिन्दु पर गेज कन्वर्जन विभाग के अधिकारियों को संतुष्ट करना होगा। इसके बाद भी वह ट्रेन चलाने की अनुमति देंगे।
रेलवे से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि भंडारकुंड से भिमालगोंदी घाट सेक्शन में रेलमार्ग का कार्य पूरा भी हो गया तो यह जरूरी नहीं कि सीआरएस रेलमार्ग को सर्टिफाइड कर देंगे। सुरक्षा के लिहाज से सीआरएस को हर बिन्दु पर गेज कन्वर्जन विभाग के अधिकारियों को संतुष्ट करना होगा। इसके बाद भी वह ट्रेन चलाने की अनुमति देंगे।
तीन खंड में निभाई जा रही औपचारिकता
गेज कन्वर्जन विभाग द्वारा छिंदवाड़ा से नागपुर रेल परियोजना के तीन खंड लगभग एक साल पहले ही पूरे कर लिए गए थे। रेलवे ने 10 जनवरी 2018 से छिंदवाड़ा से भंडारकुंड एवं 11 मई 2019 से इतवारी से भिमालगोंदी तक एक ट्रेन का परिचालन शुरु कर औपचारिकता पूरी कर दी। कई बार यात्रियों ने छिंदवाड़ा से भंडारकुंड तक दिन में तीन से चार ट्रेनों की डिमांड की, लेकिन अधिकारी हर बार यही कहते रहे कि छिंदवाड़ा से नागपुर तक रेलमार्ग का कार्य जल्द ही पूरा होने के बाद टे्रनों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
गेज कन्वर्जन विभाग द्वारा छिंदवाड़ा से नागपुर रेल परियोजना के तीन खंड लगभग एक साल पहले ही पूरे कर लिए गए थे। रेलवे ने 10 जनवरी 2018 से छिंदवाड़ा से भंडारकुंड एवं 11 मई 2019 से इतवारी से भिमालगोंदी तक एक ट्रेन का परिचालन शुरु कर औपचारिकता पूरी कर दी। कई बार यात्रियों ने छिंदवाड़ा से भंडारकुंड तक दिन में तीन से चार ट्रेनों की डिमांड की, लेकिन अधिकारी हर बार यही कहते रहे कि छिंदवाड़ा से नागपुर तक रेलमार्ग का कार्य जल्द ही पूरा होने के बाद टे्रनों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
फैक्ट फाइल
छिंदवाड़ा-नागपुर परियोजना की कुल लागत-1420.38 करोड़
परियोजना की लंबाई-149 किमी
स्टेशनों की संख्या-11, हाल्ट स्टेशन की संख्या-14, बड़े पुलों की संख्या-28, छोटे पुलों की संख्या-307, सुरंग की संख्या-दो इनका कहना है…
रिटर्निंग वॉल का कार्य अब 8 फरवरी तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद सीआरएस के निरीक्षण की तिथि निर्धारित हो पाएगी।
एके सिंह, डिप्टी सीई, गेज कन्वर्जन विभाग
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