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छिंदवाड़ा

किराने की दुकान में क्लर्क की नौकरी करने वाले का बेटा बना वैज्ञानिक

केन्द्र सरकार ने दिया गोल्ड मेडल

छिंदवाड़ाDec 12, 2017 / 06:00 pm

Rajendra Sharma

छिंदवाड़ा/नागपुर. भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिक मयूर पाटिल को महत्वपूर्ण अनुसंधान के लिए हाल ही में दूसरी बार गोल्ड मेडल मिला है। ‘सेपरेशन ऑफ अक्टिनाइड फ्रॉम स्पेंट फ्यूल एंड आउटस्टैंडिंग केमिकल साइंस’ इस सबजेक्ट के अनुसंधान के लिए भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर की टीम कार्यरत थी जिसमें मयूर भी शामिल थे।
केंद्र सरकार ने इस टीम के सभी मेंबर्स के साथ मयूर को भी स्वर्णपदक से सम्मानित किया है। मयूर के पिता जलगांव के अमलनेर में किराना दुकान में जॉॅब करते हैं। भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर कमलेश नीलकंठ व्यास और जैव प्रौद्योगिकी डिपार्टमेंट के केंद्रीय सचिव कृष्णस्वामी विजय राघवन के हाथों हाल ही में मयूर को स्वर्णपदक मिला।
मयूर के पिता भगवान पाटिल मूल रूप से धुले जिले के शिरपुरा के रहने वाले हैं। कुछ साल पहले वे अमलनेर की मिल में मजदूरी करते थे। एक दिन अचानक मिल बंद हो गई और भगवान पाटिल की नौकरी चली गई, ऐसे में पाटिल दम्पती की माली हालत खराब हो गई। इसके बाद उन्हें अमलनेर की एक किराने की दुकान में क्लर्क की नौकरी मिली। तीन बच्चों की परवरिश और उनकी शिक्षा के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। बेटे मयूर का वैज्ञानिक बनने का सपना था। इसे पूरा करने के लिए पाटिल दम्पती ने जी तोड़ मेहनत की।
बेटे के वैज्ञानिक बनने पर मिला स्वयं का घर

मयूर ने अमलनेर के सानेगुरूजी हाईस्कूल में दसवीं तक की पढ़ाई की इसके बाद उसने प्रताप कॅालेज से बीएससी तक की पढ़ाई पूरी की। इसी दौरान प्रिसिंपल और नैनो साइंटिस्ट डॉ. एलए पाटिल ने मार्गदर्शन किया और उत्तर महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी से एमएससी की पढ़ाई करने की सलाह दी। एमएससी पूरी करने के बाद मयूर ने भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर का एग्जाम टॉप किया। वह अब वहां साइंटिस्ट बन गए हैं। मयूर के साइंटिस्ट बनने से उसका परिवार आज अपने खुद के घर में रहने लगा है। वहीं बेटे को स्वर्णपदक मिलने से पिता उस पर काफी खुश है।

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