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छिंदवाड़ा

जंगल…पोआमा में दो दिन से गायब तेन्दुआ, मोरडोंगरी में ग्रामीणों को बाघ दिखा

ठंड में ग्रामीण इलाकों में तफरी कर रहे वन्य प्राणी, जान-माल को सतर्कता से बचाने की जरूरत

छिंदवाड़ाNov 25, 2024 / 11:48 am

manohar soni

छिंदवाड़ा.जिला मुख्यालय से सात किमी दूर पोआमा में चार दिन पहले दिखाई दिया तेन्दुआ दो दिन से कहीं आसपास दिखाई नहीं दिया है। इसके लिए वन विभाग की ओर से ट्रेप कैमरा और पिंजरा भी रख दिया गया है। इधर, ग्राम मोरडोंगरी में ग्रामीणों को बाघ दिखाई दिए जाने की खबर मिली है। फिलहाल वन विभाग की टीम ऐसी जानकारी पर पर्याप्त सतर्कता बरत रही है।
बता दें कि पिछले सप्ताह पोआमा आंचलिक वानिकी अनुसंधान केन्द्र के आसपास तेन्दुआ दिखाई दिया था। तब से ही वन विभाग की टीम उसे आसपाास खोज रही है। छिंदवाड़ा रेंजर पंकज शर्मा का कहना है कि पिछले दो दिन से तेन्दुआ दो दिन से आसपास किसी को दिखाई नहीं दिया है। इससे लग रहा है कि यह आसपास किसी इलाके में चला गया है। फिर भी वन विभाग की टीम लगातार इस क्षेत्र में गश्त कर रही है। ट्रेप कैमरे और पिंजरे भी लगाए गए हैं।
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पिछले साल अगस्त में नजर आया था तेन्दुआ
पिछले साल 2023 में अगस्त के महीने से तेन्दुआ पोआमा के आसपास दिखाई दिया था। उसके बाद तेन्दुआ को प्रियदर्शिनी कॉलोनी, चंदनगांव के खेतों में भी देखा गया। आसपास के लोगों ने वन विभाग को इसकी सूचना दी। तब से लेकर अब तक इस क्षेत्र में इस वन्य प्राणी की दहशत रही है। ये हिंसक वन्य प्राणी अपने शिकार की तलाश शहरी इलाकों में भी आ गए हैं। इस साल भी यहीं मूवमेंट दिखाई दे रहा है।
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सुरक्षात्मक माहौल में बढ़ी बाघ-तेन्दुआ
देखा जाए तो छिंदवाड़ा/पांढुर्ना जिले में कुल 11815 वर्ग किमी क्षेत्र में जंगल का हिस्सा 30 फीसदी है। तीन वनमंडल पूर्व, पश्चिम और दक्षिण की सीमा में इस बाघ के कुनबे की अनुमानित संख्या इस समय 50 से अधिक है। वर्ष 2018 में ही 48 टाइगर की मौजूदगी के साक्ष्य मिले थे। इसके अलावा पेंच नेशनल पार्क और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की सीमा से गुजरता टाइगर कारीडोर है, जहां से टाइगर हर दिन कहीं न कहीं विचरण करते हैं।
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पिछले साल वन्य प्राणी के हमले से दो मृत
पिछले वर्ष 2023 में चंद्रिकापुर में एक चरवाहा और तामिया के पास एक 23 वर्षीय युवती शिकार बनी थी। इसके बाद भी लगातार घटनाएं हो रही है। वन विभाग मानता है कि जंंगलों में जनसंख्या के दबाव से घास भूमि न बचने से हिरण, खरगोश समेत अन्य शाकाहारी पशुओं की कमी हो गई है। यहीं हिंसक वन्य प्राणियों का भोजन है। वन्य प्राणी अब आबादी क्षेत्र में मौजूद गाय-बछड़े, बकरी को निशाना बना रहे हैं। कभी-कभी ये मानवों का भी शिकार कर रहे हैं।
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दक्षिण से लेकर पूर्व-पश्चिम तक बाघ-तेन्दुआ की दहाड़
पेंच पार्क के बफर जोन में ग्राम कुम्भपानी और बिछुआ रेंज के एक हिस्से में टाइगर का मूवमेंट है तो वहीं चौरई के हलाल से जुड़े जंगल मे बाघ की दहाड़ सुनाई देती है। इसके अलावा परासिया,तामिया और झिरपा से जुड़े सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बफरजोन में भी यह वन्य प्राणी दखल है। दक्षिण में सिल्लेवानी और सौसर का जंगल टाइगर के लिए महफूज है। इन इलाकों में आए दिन बाघ-तेन्दुआ की दहाड़ सुनाई दे रही है।
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