छिंदवाड़ा

आदिवासियों को वनाधिकार प्रमाणपत्र की राह में सामने आ रही लेटलतीफी

– जिलास्तरीय वन अधिकार समिति की बैठक में 321 दावे मंजूर
– फिर भी संबंधितों को नहीं मिला हक

छिंदवाड़ाNov 22, 2024 / 11:03 am

prabha shankar

AAdiwasi patal

वनभूमि पर काबिज होने के दावे अभी भी वन, राजस्व और आदिम जाति कल्याण विभाग के बीच फंसे हैं, जिनकी गुत्थी सुलझाने में अधिकारियों को काफी समय लग रहा है। जिला स्तरीय वन अधिकार समिति की बैठक में 321 दावे जिला स्तर पर मान्य हो पाए हैं। फिर भी संबंधितों को उनका हक नहीं मिल पाया है।
जनजातीय कार्य विभाग की मानें तो अनुसूचित जाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम 2006 में वनभूमि पर 50 साल से काबिज वनवासियों को चार हेक्टेयर जमीन दिए जाने का प्रावधान है। अब तक व्यक्तिगत स्तर पर 9967 और सामुदायिक स्तर पर 1585 वनभूमि दावे स्वीकृत कर पट्टे वितरित किए गए हैं। इस प्रक्रिया में 1884 दावे निरस्त कर दिए गए थे। राज्य शासन के आदेश पर पिछले कई साल से इन दावों के पुन: परीक्षण की कार्यवाही फाइलों में चल रही है। इस प्रक्रिया पर वीडियो कॉन्फ्रेंस हो रही है और निराकृत दावों की जानकारी मांगी जा रही है। 13 नवम्बर को जिला स्तरीय वन अधिकार समिति की बैठक हुई थी। उसमें 321 दावे मान्य और 52 दावे अमान्य किए गए हैं। हितग्राहियों को हक दावा वितरित करने के सवाल पर जनजातीय कार्य विभाग के अधिकारी कहते हैं कि अभी फाइल डीएफओ के पास है। जैसे ही उनकी स्वीकृति आएगी, वैसे ही संबंधित हितग्राही को इसका वितरण किया जाएगा।

कानून बनने के बाद ज्यादा कब्जे

वन अधिकारी बताते हैं कि वनाधिकार कानून लागू होने के बाद वनवासियों ने जंगलों को काट कर जमीन पर ज्यादा कब्जे कर लिए। इससे उनके 50 साल पुराने कब्जे की पहचान करना मुश्किल हो गया है। पर्यावरण के लिए वनों को बचाना भी जरूरी है। पहले उनके अनापेक्षित दावे निरस्त किए गए थे। अब फिर से परीक्षण और उन्हें देने में परेशानी आ रही है।

एक दावे पर तीन चरण की प्रक्रिया

वनाधिकार के एक निरस्त दावे के परीक्षण में पहले ग्राम वन समिति वनभूमि और कब्जाधारक के रिकॉर्ड की जांच करती है। फिर उसे डिप्टी रेंजर, रेंजर, एसडीएम की समिति देखती है। उसके बाद कलेक्टर स्तर पर बनी समिति अंतिम मुहर लगाती है। इन चैनलों को पार करने पर काफी समय लगता है।
इनका कहना है
बीती 13 नवम्बर को जिला स्तरीय वन अधिकार समिति की बैठक में कुछ वनाधिकार दावे फाइनल किए गए हैं। अभी फाइल डीएफओ के पास है। उसके बाद ये जानकारी दी जाएगी।- सतेन्द्र मरकाम, सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग

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