कानून बनने के बाद ज्यादा कब्जे
वन अधिकारी बताते हैं कि वनाधिकार कानून लागू होने के बाद वनवासियों ने जंगलों को काट कर जमीन पर ज्यादा कब्जे कर लिए। इससे उनके 50 साल पुराने कब्जे की पहचान करना मुश्किल हो गया है। पर्यावरण के लिए वनों को बचाना भी जरूरी है। पहले उनके अनापेक्षित दावे निरस्त किए गए थे। अब फिर से परीक्षण और उन्हें देने में परेशानी आ रही है।एक दावे पर तीन चरण की प्रक्रिया
वनाधिकार के एक निरस्त दावे के परीक्षण में पहले ग्राम वन समिति वनभूमि और कब्जाधारक के रिकॉर्ड की जांच करती है। फिर उसे डिप्टी रेंजर, रेंजर, एसडीएम की समिति देखती है। उसके बाद कलेक्टर स्तर पर बनी समिति अंतिम मुहर लगाती है। इन चैनलों को पार करने पर काफी समय लगता है। इनका कहना है
बीती 13 नवम्बर को जिला स्तरीय वन अधिकार समिति की बैठक में कुछ वनाधिकार दावे फाइनल किए गए हैं। अभी फाइल डीएफओ के पास है। उसके बाद ये जानकारी दी जाएगी।- सतेन्द्र मरकाम, सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग
बीती 13 नवम्बर को जिला स्तरीय वन अधिकार समिति की बैठक में कुछ वनाधिकार दावे फाइनल किए गए हैं। अभी फाइल डीएफओ के पास है। उसके बाद ये जानकारी दी जाएगी।- सतेन्द्र मरकाम, सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग