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छिंदवाड़ा

Chhindwara university: हजारों विद्यार्थियों को विवि से अंकसूची का इंतजार, तीन साल पहले लिया था दाखिला

प्रोविजनल मार्कशिट से विद्याथी चला रहे काम

छिंदवाड़ाFeb 12, 2024 / 01:00 pm

ashish mishra

college student


छिंदवाड़ा. राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की कमी की वजह से विद्यार्थियों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। विश्वविद्यालय से संबद्ध सिवनी, बालाघाट, बैतूल एवं छिंदवाड़ा के कॉलेजों में नई शिक्षा नीति के तहत वर्ष 2021-22 में स्नातक में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को अब तक प्रथम, द्वितीय वर्ष का अंकपत्र नहीं मिल पाया है। वर्तमान में यह विद्यार्थी स्नातक तृतीय वर्ष में पहुंच चुके हैं। विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों को जरूरी होने पर प्रोविजनल अंकसूची देकर किनारा कर लिया है। जबकि प्रोविजनल अंकसूची केवल छह माह तक ही मान्य रहती है। हजारों विद्यार्थी विश्वविद्यालय से मूल अंकसूची का इंतजार कर रहे हैं। दूसरी तरह नई शिक्षा नीति के तहत कई विद्यार्थियों ने स्नातक प्रथम एवं द्वितीय वर्ष में पढ़ाई करने के बाद किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ दी है। उन्हें भी विश्वविद्यालय ने सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा नहीं दिया। विश्वविद्यालय का कहना है कि अब तक हमारे पास ऐसा कोई विद्यार्थी आया ही नहीं।

नई तय हो गया प्रोफॉर्मा
नई शिक्षा नीति को लागू हुए तीन साल हो चुके हैं। इसके बावजूद भी राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय अब तक सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा का प्रोफॉर्मा ही तय नहीं कर पाया है। जबकि नियम के अनुसार एक साल पढ़ाई के बाद पढ़ाई छोडऩे वालों को सर्टिफिकेट देना था। उल्लेखनीय है कि शासन ने नई शिक्षा नीति-2020 पिछले वर्ष ही लागू की थी। इसमें सबसे बड़ा आकर्षण विद्यार्थियों को पसंद के विषय पढऩे की आजादी के साथ ही मल्टीपल इंट्री और मल्टीपल एग्जिट थी।
अब तक कॉलेजों में हो रही परेशानी
नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद पहले ही साल बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने पसंद के विषय चुन लिए थे, लेकिन कई महिनों तक कॉलेज में इन विषयों की पढ़ाई ही नहीं हो सकी। मजबूरी में उन्हें परीक्षा से पहले विषय बदलते हुए ऐसे विषय चुनना पड़ा, जिसकी पढ़ाई कॉलेज में होती है। हालांकि अब भी कॉलेजों में कई विद्यार्थियों को एवं प्राध्यापकों को नई शिक्षा नीति समझ में नहीं आई है। ऐसे में परेशानी हो रही है।
प्रथम वर्ष पास कर काफी छात्रों ने छोड़ी पढ़ाई
जिले के कई कॉलेजों में ऐसे काफी विद्यार्थी हैं, जिन्होंने प्रथम वर्ष की परीक्षा पास करने के बाद द्वितीय वर्ष में दाखिला नहीं लिया। नई शिक्षा नीति में प्रथम वर्ष उत्तीर्ण कर पढ़ाई छोडऩे वाले विद्यार्थी को सर्टिफिकेट, सेकंड ईयर के बाद पढ़ाई छोडऩे वालों को डिप्लोमा और तृतीय वर्ष के बाद डिग्री दी जानी है।

वाइवा के नंबर भी नहीं थे जुड़े
कॉलेज में वर्ष 2021-22 में विद्यार्थियों ने नई शिक्षा नीति के तहत दाखिला लिया। पहली बार परीक्षा आयोजित होने के बाद विश्वविद्यालय ने रिजल्ट जारी किया। इसमें 800 से अधिक विद्यार्थियों का रिजल्ट प्रभावित हुआ। जब विद्यार्थियों ने विरोध जताया तो जांच में पता चला कि कई कॉलेजों ने विद्यार्थियों के वाइवा या प्रेक्टिकल के अंक ही नहीं दिए थे। इसके पीछे वजह यह सामने आई की कॉलेजों को इसकी जानकारी ही नहीं थी।
इनका कहना है…
नई शिक्षा नीति के तहत प्रथम एवं द्वितीय में उत्तीर्ण विद्यार्थियों को प्रोविजनल अंकसूची दी गई थी। जल्द ही मूल अंकसूची दी जाएगी। फार्मेट बन चुका है और मशीन भी आ गई है। जल्द ही छपाई हो जाएगी। जहां तक सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा की बात है तो अब तक किसी विद्यार्थी ने आवेदन हीं नहीं किया है।
डॉ. धनाराम उइके, परीक्षा नियंत्रक, आरएसएस विवि, छिंदवाड़ा

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