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छिंदवाड़ा

Indepedence day story: स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है खादी, बापू ने दिलाई थी पहचान

स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है खादी, बापू ने दिलाई थी पहचान

छिंदवाड़ाAug 07, 2024 / 01:00 pm

ashish mishra

छिंदवाड़ा. देश की आत्मनिर्भरता और स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक रही खादी धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खो रही है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने खादी को भारत की पहचान बनाया और अपना पूरा जीवन समर्पित किया। यह कहना गलत नहीं होगा कि खादी के पहले डिजाइनर गांधीजी ही हैं। सबसे पहले खादी के महत्व से भारतवासियों को उन्होंने ही अवगत कराया था। गांधी जी ने कहा था कि खादी के वस्त्र पहनना न सिर्फ अपने देश के प्रति प्रेम और भक्तिभाव दिखाना है, बल्कि कुछ ऐसा पहनना भी है, जो भारतीयों की एकता दर्शाता है। उन्होंने इस प्रकार अंग्रेजों का ही नहीं, आम जीवन के काम आने वाली विदेशी वस्तुओं का भी बहिष्कार किया। गांधीजी ने कहा कि ‘स्वराज’ यानी अपना शासन पाना है तो ‘स्वदेशी’ यानी अपने हाथों से बनी देशी चीजों को अपनाना होगा। इसीलिए खादी स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक ही नहीं, बल्कि सच्चा भारतीय होने की पहचान भी कहलाई। इसके बावजूद भी खादी की लोकप्रियता घट रही है। जबकि हस्तशिल्पी और बुनकर हाथ चरखा चलाकर सूत कातते हैं और फिर तैयारी होती है अपनी खादी। खादी से हम सभी का गहरा नाता है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम खादी को बढ़ावा दें।
पत्रिका का आव्हान
पत्रिका द्वारा 77वें स्वतंत्रता दिवस पर ‘हम खादी की शान’ अभियान चलाया जा रहा है। पत्रिका सभी से आव्हान करती है कि 15 अगस्त को आइए हम सभी खादी के बनें कपड़े पहने और स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल हों। आप हमें खादी कपड़ा पहनकर सेल्फी भी भेजें। इसकी फोटो हम पत्रिका में प्रकाशित करेंगे।
इनका कहना है
विश्व में खादी भारतीयता की पहचान रही है। खादी से बने वस्त्र व सामग्री अन्य वस्त्रों से अधिक टिकाऊ होते हैं। खादी से बने वस्त्र हर किसी को पहनना चाहिए। पत्रिका का अभियान सराहनीय है।

अमर सिंह, प्राचार्य

खादी से बने वस्त्र मजबूत होते हैं। त्वचा के लिए नुकसानदायक नहीं है। एक समय था खादी चरखा पहले प्रत्येक घरों मे राज करता था, लेकिन यह अब विलुप्त होता जा रहा है। इसे बढ़ावा देना चाहिए।

अजय पालीवाल, वकील

एक समय था जब खादी विलुप्त हो रही थी, लेकिन अब युवा काफी पसंद कर रहे हैं। धीरे-धीरे डिमांड बढ़ रही है। खादी हमारे देश की पहचान भी है। इसे सभी लोगों को पहनना चाहिए।

विनोद तिवारी, समाजसेवी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी खादी के वस्त्र पहनने को लेकर बात कही है। मैं अक्सर खादी के कपड़े ही पहनता हूं। पत्रिका का अभियान सराहनीय है। इसे बढ़ावा मिलना ही चाहिए। हमारे देश की पहचान है।
अंशुल शुक्ला, समाजसेवी

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