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छतरपुर

खून की कमी से जूझ रहा जिले का इकलौता शासकीय ब्लड बैंक, हर रोज मरीज हो रहे परेशान

फिर भी प्रबंधन की लापरवाही जारी, बैंक में मात्र ११७ यूनिट ही उपलब्ध हैं ब्लड

छतरपुरFeb 01, 2024 / 08:24 pm

Unnat Pachauri

जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैंक

छतरपुर. जिला अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक वर्षों से खून की कमी से जूझ रहा है। यहां पर ३५० यूनिट की छमता होने के बाद भी मात्र ११७ यूनिट खून है। जिससे जिला अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में आने वाले मरीजों को रक्त के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। अगर डोनर नहीं है तो मरीज के लिए रक्त मिलना परेशानी का कारण बन जाता है। ऐसे में मरीज के परिजन जान बचाने के लिए शहर के लोगों के सामने हाथ फैलाते नजर आते हैं। हालात ये हैं कि जिला अस्पताल की ब्लड बैंक में सभी गु्रपों का महज ११7 यूनिट की रक्त मौजूद हैं। इनमें से कई यूनिटों का ब्लड है ही नहीं।
जिले में एक मात्र सरकारी ब्लड बैंक है, जो जिला अस्पताल में मौजूद है। यहां से जिले के सभी निजी और सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को खून की जरूरत होने खून की व्यवस्था किए जाने का प्रावधान है। जिला अस्पताल में छतरपुर जिला ही नहीं आसपास के महोबा, टीकमगढ़ व पन्ना जिले के मरीज भी यहां इलाज कराने आते हैं। बावजूद इसके जिला अस्पताल का ब्लड बैंक अपनी क्षमता के अनुरूप रक्त की उपलब्ध हासिल नहीं कर पा रहा है। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में ३५० यूनिट ब्लड रखने की क्षमता है, लेकिन फिलहाल सिर्फ ११7 यूनिट ही रक्त मौजूद है। उसमें भी कई ग्रुप का एक यूनिट भी ब्लड नहीं है। मरीजों ब्लड की जरूरत पडऩे पर 1050 रुपए की रसीद कटाने की व्यवस्था है। इसके बाद किसी करीबी का रक्तदान कराकर ब्लड दिया जाता है, लेकिन विभिन्न गु्रपों का रक्त न मिलने से मरीज यहां से वहां भटकते रहते हैं। जिससे उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
रक्तदान, जीवनदान

रक्तदान को लेकर फिलहाल लोगों में जागरुकता कम ही दिखाई दे रही है। कुछ लोग ही रक्तदान करने का साहस दिखा रहे हैं। जबकि रक्तदान जीवनदान के सामान होता है। वक्त पडऩे पर यदि किसी मरीज को रक्त मिलता है तो उसकी जान बचाई जा सकती है। इन्हीं रक्तदाताओं के रक्त से ही जिला अस्पताल के ब्लड बैंक की पूरे नौ यूनिट रक्त मुहैया कराया जा सकता है, लेकिन स्थिति ये है कि ज्यादा लोग रक्तदान करने में रुचि नहीं ले रहें। वहीं एक बात भी सामने आ रही है कि विभागीय अधिकारी भी लोगों को रक्तदान करने के लिए जागरुकता की दिशा भी कदम नहीं उठा रहे हैं। ऐसे में जिला अस्पताल का ब्लड बैंक रक्त की कमी से जूझ रहा है।
नहीं है निगेटिव कैटागिरी का खूनजिला अस्पताल के ब्लड बैंक में पॉजीटिव ग्रुप का कुछ यूनिट रक्त है, लेकिन निगेटिव गु्रप का रक्त कुछ का ३-४ भी यूनिट नहीं है। ऐसे में निगेटिव गु्रप वाले मरीजों को जरूरत पडऩे पर रक्त की पूर्ति करने के लिए परेशान होना पड़ता है। हालांकि निगेटिव गु्रप के डोनर भी बेहद कम मिलते हैं।
७०० से अधिक लोगों को होती हैं जरूरत

जिला अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक से खून के लिए जिले के निजी और सरकारी अस्पतालों द्वारा मरीजों के लिए खून लिया जाता है। लेकिन यहां पर खून की कमी होने के चलते मरीजों को बडी परेसानी होती है। ब्लड बैंक के स्टाफ द्वारा जानकारी के अनुसार एक औसतन हर माह ६-७ सौ मरीजों को खून की जरूरत पड़ रही है, डोनरों की संख्या इससे कम है।
रक्तदान के लिए आगे आ रहे युवाकुछ समय से शहर के कुछ युवाओं ने विभिन्न नामों से ग्रुप बनाकर मरीजों को जरूरत होने पर नि:शुल्क खून उपलब्ध करा रहे हैं। लेकिन शासन ने न तो इन्हैं अभी तक प्रोत्साहित किया गया और न ही इनके दिए गए ब्लड का हिसाब रखा जा रहा है। जिससे अधिकांश युवाओं का भी ब्लड डोनेट करने से दूरी बना रहे हैं। हालाकि कुछ युवाओं द्वारा अभी भी जानकारी होने पर मरीजों को ब्लड उपलब्ध करा रहे हैं। जिससे अस्पताल में आने वाले मरीजों को समय पर रक्त मिल पा रहा है।
बैंक में ब्लड की उपलब्धता

ए पोजिटिव- ३२ए नेगिटिव- 00

बी पोजिटिव- ३५बी नेगिटिव- ०४

एबी पोजिटिव- ०९एबी नेगिटिव- 00

ओ पोजिटिव- ३३ओ नेगिटिव- 0४

इनका कहना है

हमारी ओर से रक्तदान शिविर लगाकर रक्तदान के प्रति लोगों को जागरुक करने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे बीते कुछ माह से ब्लड की उपलब्धता में काफी सुधार आया है। हमारा प्रयास है कि गंभीर मरीजों को बिना रिप्लेसमेंट के तत्काल ब्लड उपलब्ध करा सकें।डॉ. स्वेता गर्ग, ब्लड बैंक प्रभारी

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