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छतरपुर

खजुराहो फिल्म फेस्टिवल की छठवीं शाम: पंजाब का भांगड़ा और असम का विहू लोकनृत्य बना आकर्षण का केंद्र

पंजाब का भांगड़ा लोकनृत्य और असम का प्रसिद्ध विहू लोकनृत्य, जिनकी प्रस्तुतियां रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजी स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने दी। यह कार्यक्रम खजुराहो के शिल्पग्राम परिसर में हुआ, जहां विभिन्न कलाकारों ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को प्रस्तुत किया।

छतरपुरDec 11, 2024 / 10:36 am

Dharmendra Singh

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ांगड़ा और असम क

छतरपुर. विश्व धरोहर स्थल खजुराहो में आयोजित दसवें खजुराहो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की छठी शाम ने दर्शकों को शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रमों से मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दिन की खासियत रही पंजाब का भांगड़ा लोकनृत्य और असम का प्रसिद्ध विहू लोकनृत्य, जिनकी प्रस्तुतियां रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजी स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने दी। यह कार्यक्रम खजुराहो के शिल्पग्राम परिसर में हुआ, जहां विभिन्न कलाकारों ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को प्रस्तुत किया।

मुख्य अतिथि गोविंद सिंह का अभिनंदन


समारोह की छठी शाम में मध्यप्रदेश सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ फिल्म इंडस्ट्रीज से राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित अशोक मिश्रा सहित कई गणमान्य अतिथि भी मौजूद थे। समारोह की शुरुआत में फिल्म फेस्टिवल के संयोजक राजा बुंदेला और प्रसिद्ध अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी ने मंत्री गोविंद सिंह और अन्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

स्थानीय कलाकारों ने भी दी प्रस्तुतियां


इस कार्यक्रम में पंजाब का भांगड़ा लोकनृत्य, जो कि पंजाब की पारंपरिक और ऊर्जा से भरपूर नृत्य कला है, दर्शकों को एक अलग ही अनुभव दे गया। इसके साथ ही असम का विहू लोकनृत्य भी प्रस्तुत किया गया, जिसे असम की प्रमुख सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है। इस नृत्य के माध्यम से असम के लोग अपनी खुशी और समृद्धि का उत्सव मनाते हैं। दोनों ही नृत्य प्रस्तुतियां स्थानीय कलाकारों और सांस्कृतिक दलों ने शानदार तरीके से प्रस्तुत की, जिसने सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके अलावा, स्थानीय कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी, जिनमें गीत, संगीत और नृत्य के विभिन्न रूप शामिल थे। इन प्रस्तुतियों ने खजुराहो के इस सांस्कृतिक महोत्सव को और भी यादगार बना दिया।

स्कूली बच्चों ने भी किया प्रदर्शन


समारोह में खजुराहो और आसपास के स्कूलों के बच्चों ने भी भाग लिया और अपनी कला का प्रदर्शन किया। इन बच्चों की प्रस्तुतियां उत्साह और जोश से भरी हुई थीं, और उन्होंने नृत्य, संगीत और नाटक के माध्यम से दर्शकों का दिल जीता। इस वर्ष के खजुराहो फिल्म फेस्टिवल में एक नया आकर्षण क्राफ्ट मेला भी था, जहां भारत की विभिन्न कला और हस्तशिल्प का प्रदर्शन किया गया। मेले में स्थानीय और राष्ट्रीय कारीगरों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, जिसमें विभिन्न प्रकार के हस्तनिर्मित उत्पाद, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की नक्काशी, और अन्य पारंपरिक कला रूपों को प्रदर्शित किया गया। इस मेले ने खजुराहो के सांस्कृतिक धरोहर को और भी जीवंत बना दिया।

टपरा टॉकीज में नवोदित निर्देशकों की फिल्मों की हुई स्क्रीनिंग


खजुराहो फिल्म फेस्टिवल में मंगलवार को नवोदित व अनुभवी निर्देशकों की शॉर्ट फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई। निर्देशक समीर खान की फिल्म मैं बनूंगी मिस बुंदेलखंड, निर्देशक डॉ. एनएल पटेल और खिरोधर सोंधिया की फिल्म एक और क्रांति का फिल्मांकन हुआ, जिसमें समाज में क्रांति और बदलाव का चित्रण किया गया है। यह फिल्म एक नई शुरुआत का प्रतीक है। निर्देशक डॉ. प्रभात पांडेय द्वारा बनाई गई घोस्ट राइटर फिल्म में भूत-प्रेत की दुनिया को एक दिलचस्प अंदाज में पेश किया गया है। इसी तरह निर्देशक नरेंद्र पटेल की बुंदेली लोककला और पारंपरिक पहनावे को आधुनिक तरीके से प्रस्तुत करने वाली फिल्म झुमकी, सामूहिकता और एकता का संदेश देती निर्देशक किशोर श्रीवास्तव की फिल्म हम सब साथ साथ हैं। न्याय और समानता के मुद्दों पर आधारित निर्देशक विजय के तिवारी की फिल्म अब होगा इंसाफ, ग्वालियर के निर्देशक प्रिंस सक्सेना की फिल्म खजाना, मातृत्व और परिवार के रिश्तों की अहमियत को उजागर करती निर्देशक विजय तिवारी की फिल्म लव यू मां, निर्देशक इशरत आर खान की फिल्म गुठली, निर्देशक परेश मसीह की बुंदेलखंड की लोककला और परंपराओं पर आधारित फिल्म कजरी, समाजिक मुद्दों को उजागर करती निर्देशक मुनीर रजा की फिल्म बुनियाद, निर्देशक, एक्टर और राइटर रजनी पवार की फिल्म इत्तेफाक की स्क्रीनिंग की गई।

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