महिला स्व-सहायता समूह बनाकर महिलाओं को दिया काम
प्रिंस वाजपेयी क्वालिटी कंट्रोलर है वह बताते हैं कि गुंजन तैयार करने में 10 लोगों की टीम लगी है जिसमें महिलाएं शामिल है इन व्यंजनों को बहुत सराहना मिल रही है सामान्य कीमतों में यह व्यंजन उपलब्ध है। प्रिंस ने लोगों से अनुरोध किया है कि वह अपने देसी व्यंजनों का प्रचार प्रसार करें और इनसे दूर भागने की बजाय इन्हें अपनाएं ताकि हमारे व्यंजनों का वजूद बना रहे।
लोक साहित्य में समाहित है पकवानों का बखान
बुंदेली साहित्यकार डॉ. बहादुर सिंह परमार बताते हैं कि लोक में अलग-अलग मौसम में तरह-तरह के पकवान बनाने का प्रचलन बहुत अधिक रहता है जिनका मौसम के हिसाब से स्वाद भी रसीला रहता है। गर्मियों में सतुआ मिलता था जो मौसम के हिसाब से लोगों को स्वस्थ रखने कारगर साबित होते थे। बुन्देली साहित्य में मौसम के अलग अलग दृश्यों में विविध व्यंजनों का बेहतर ढंग से चित्रण भी मिलता है।